विश्व डायबिटीज डे मना रहा है.

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  • नई दिल्ली (एसएनएन):
     आज विश्व डायबिटीज डे मना रहा है. खास बात यह है कि आज के समय में अपने देश में भी डायबिटीज यानि मधुमेह बेहद खतरनाक बीमारी बनकर उभरी है जिसके शिकार बूढ़े ही नहीं बल्कि अब युवा भी हो रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में चीन के बाद सबसे ज्यादा डायबिटीज के रोगी भारत में हैं. पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीयों में यह रोग 10-15 साल पहले आ जाता है. भारत में 6.3 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. 


    वर्ष 2030 तक देश में डायबिटीज रोगियों की संख्या 10 करोड़ पार कर जाने का अनुमान है. डायबिटीज अपने आप में एक जानलेवा बीमारी है, और स्वास्थ्य संबंधी अन्य तमाम बीमारियों से जुड़ी हुई है. डायबिटीज को जड़ से भले न खत्म किया जा सकता हो पर इस पर प्रभावी रोकथाम अवश्य लगाया जा सकता है, लेकिन इस राह में इससे जुड़ी अनेक गलतफहमियां और मिथक सबसे बड़ी बाधा हैं. चिकित्सकों का कहना है कि डायबिटीज के प्रति जागरूकता इससे लड़ने का सबसे महत्वपूर्ण हथियार है. 

    डायबिटीज से जुड़े मिथक
    डायबिटीज से जुड़ा सबसे प्रचलित मिथक यह है कि चीनी ज्यादा खाने के कारण डायबिटीज हो जाता है. जबकि शरीर की जरूरत के मुताबिक चीनी खाई जाए तो यह डायबिटीज की वजह नहीं बनती. डायबिटीज एक पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जिसमें खून में शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है. शर्करा की अधिक मात्रा शरीर में उतकों को नुकसान पहुंचाता है. इसके कारण यह अन्य दिक्कतों जैसे हृदय संबंधी परेशानी, गुर्दे की समस्या और अंधेपन की वजह भी बन सकता है. डायबिटीज को लेकर दूसरी गलतफहमी लोगों में यह है कि एक बार आप इंसुलीन का सेवन कर लेंगे तो आप इसके आदी हो जाएंगे. 

    मैक्स हेल्थकेयर के उपाध्यक्ष प्रदीप चौबे ने बताया, आमतौर पर लोग सोचते हैं कि इंसुलिन एक किस्म का नशा है जो आपको इसका आदी बना देगी. लेकिन सच यह है कि डायबिटीज रोगी जितना इंसुलीन के सेवन से परेशान नहीं होते, उससे कहीं अधिक उसे लेने के लिए इंजेक्शन लगावाना उन्हें ज्यादा परेशान करता है. उन्होंने आगे कहा, वास्तव में इंसुलिन मधुमेह से होने वाली दिक्कतों को घटाता है और एक स्वस्थ जीवन जीने में मदद करता है. 

    लोगों को लगता है कि इंसुलिन संभवत: रक्त के शर्करा स्तर को तेजी से घटाता है और उनको नुकसान पहुंचाता है. वास्तव में डायबिटीज नियंत्रण के लिए इंसुलिन सबसे कारगर तरीका है. डायबिटीज के संबंध में एक और आम मिथक यह है कि यह बुढ़ापे में होने वाली बीमारी है, और पीढ़ीगत होती है. जबकि इन दोनों बातों में भी जरा भी सच्चाई नहीं है. 

    हमारे जीवन में व्यस्तताएं बढ़ती जा रही हैं, यह हमारे खान-पान की आदतों और जीवनशैली में झलकने लगा है. इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जब बच्चों की बात आती है तो खाने के लिए कुछ आकर्षक चीजों की तलाश में अभिभावक लंच में उन्हें बाजार से मिलने वाले खाद्य पदार्थ जैसे बर्गर आदि देते हैं जो कि बमुश्किल ही स्वास्थ्यकर होते हैं. 

    बीमार होते जा रहे युवा 
    तेजी से बदलती लाइफस्टाइल ने आज खानपान, रहन-सहन सब कुछ बिगाड़ दिया है. इसका सबसे ज्यादा असर आज के युवाओं को हो रहा है. भागदौड़ भरी इस लाइफ में तनाव के साथ-साथ डायबिटीज तेजी से उन्हें अपनी चपेट में ले रहा है. डॉक्टरों की माने तो शहरी एरिया के लोग ग्रामीण एरिया के मुकाबले डायबिटीज की गिरफ्त में ज्यादा है और इसमें युवाओं की संख्या बढ़ रही है. पहले जहां 40 के बाद लोगों में डायबिटीज की समस्या देखी जाती थी, वहीं अब यह बीमारी 25 साल के बाद ही युवाओं को घेर रही है. 

    दो प्रकार की होती है डायबिटीज
    डायबिटीज सामान्यत: दो प्रकार की होती है- ज्यूवेनाइल डायबिटीज या इन्सुलिन डिपेन्डेंट डायबिटीज और नान इन्सुलिन डिपेन्टेड डायबिटीज. ज्यूवेनाइल डायबिटीज बच्चों में पाई जाती है तथा इस प्रकार के रोगियों में कीटो एसीडोसिस का खतरा ज्यादा होता है. इन रोगियों में बल्ड शुगर को इन्सुलिन द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है. 

    डायबिटीज का प्रभाव
    डायबिटीज का प्रभाव शरीर के सभी अंगों पर पड़ता है. विशेष कर डायबिटीज की वजह से गुर्दे खराब होने का खतरा रहता है. आंखों की रोशनी कम हो जाती है. हार्ट अटैक तथा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी सामान्य व्यक्ति की तुलना में कई गुना बढ़ जाता है. इस रोग की वजह से नपुंसकता भी आ जाती है. पैरों में जलन तथा न्यूरोपैथी हो जाती है. 

    डायबिटीज से बचाव
    डायबिटीज रोगी को नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए.
    मीठा भोजन, तले हुए पदार्थ, रेड मीट का सेवन नहीं करना चाहिए.
    नियमित व्यायाम करें और तनाव से दूर रहें.
    खाने में हरी सब्जियां तथा फलों का सेवन करना चाहिए.
    मोटापे को नियंत्रण में रखना चाहिए.
    यदि मां-बाप को डायबिटीज हो तो बच्चों को नियमित रूप से अपनी ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए.

    2 टिप्‍पणियां:

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