मुख्यमंत्री जी, बधाई हो.

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  • रजनीश
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  • नीतीश जी के इस्तीफे के बाद भी हमारी हार्दिक इच्छा थी कि वे पुनः मुख्यमंत्री बनें, पर राजनीति केवल जन-भावनाओं के आधार पर नहीं चलती. जयप्रकाश विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर श्री Ramnaresh Sharma जी सही ही कह रहे थे कि हम राजनीतिक हलचलों को अपने दृष्टिकोण से आँकते और देखते हैं और अपने पूर्वाग्रहों के आधार पर बिल्कुल आदर्श स्थिति की कल्पना करते हैं, पर बहुत सारी उलझनें ऐसी होती हैं जो मीडिया में भी नहीं आती. और फिर राजनेता राजनीतिक दृष्टि से अपने नफा-नुकसान को ध्यान में रखकर निर्णय लेते हैं. नीतीश जी एक परिपक्व राजनेता हैं, केवल लोकसभा चुनावों में सीटें गँवा देने के कारण वो बिहार में बिल्कुल फ्लॉप कर गए और उनकी प्रासंगिकता खत्म हो गई, ऐसा मैं नहीं मानता. सोशल साईट्स पर शुरुआती दिनों में तमाम लोग इनके लिए कसीदे पढने लगे थे और अब उतनी ही गालियाँ दे रहे हैं. मुझे लगता है इस तरह की दोनों प्रवृत्ति केवल तात्कालिक उत्तेजना का परिणाम है. मैं इनके सबसे अच्छे दिनों में भी जनहित की अनदेखी करने पर व्यवस्था के विरोध में लिख देता था, पर आज जब इनको गालियाँ दी जा रही है तो मुझे दुःख भी हो रहा है. उन्होंने बिहार को आगे बढ़ाने हेतु सही में प्रयास किया है और बहुत क्षेत्रों में काफी सुधार लाया है. गठबंधन टूटने के कारण इनके प्रति नाराजगी बढ़ी है और उन्हें इसका नुकसान भी उठाना पड़ा. पर, इससे इनके द्वारा बिहार के विकास हेतु और राज्य-हित में किए गए कार्यों को नकारा नहीं जा सकता. कोई भी रचनात्मक सोच का आदमी अपनी उपलब्धि और रचनात्मकता को बर्बाद होते नहीं देख सकता. उदाहरण के लिए मुझे पौधारोपण में रूचि है, अगर पौधे का एक डाल भी क्षतिग्रस्त होता है तो मुझे अत्यधिक पीड़ा होती है. नीतीश जी ने भी बिहार को एक बाग़ की तरह सजाने का प्रयास किया है और वे केवल एक चुनाव में असफल हो जाने के कारण राज्य-हित से अलग सोचने लगेंगे, ऐसा नहीं हो सकता. उन्होंने मुख्यमंत्री पद हेतु माननीय जीतन राम माँझी जी का चयन किया है तो यह निश्चित रूप से राज्य और इसकी जनता के हित को ध्यान में रखकर किया होगा. मुझे नवनिर्वाचित माननीय मुख्यमंत्री जी के बारे में बहुत जानकारी नहीं, पर नीतीश जी पर पूरा भरोसा है, वे बिहार के लिए अच्छा ही करेंगे, उनसे राज्य-हित के विरुद्ध कोई कार्य हो ही नहीं सकेगा. कोई माली अपने बाग को बर्बाद नहीं कर सकता. Etv Bihar पर माननीय जीतन राम माँझी की शपथ की खुशी में उनके गाँव-गिराँव के महिलाओं को गीत गाते देखा, उन्हें इतना खुश देखकर मैं भी भाव-विभोर हो गया. उन्हें भी अधिकार है सत्ता में भागीदारी का और सत्ता-सुख प्राप्त करने का, जो लगातार दोषारोपण करते रहे हैं कि उन्हें कतिपय कारणों से सत्ता से दूर रखा जाता है. हम यह कयास कैसे लगा सकते हैं कि वे योग्य सिद्ध नहीं होंगे ? निश्चित रूप से बहुत अच्छा काम करेंगे और मेरी हार्दिक इच्छा है कि बिना कोई सामाजिक दुर्भावना फैलाए वे आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ गए अपने भाई-बंधुओं के उत्थान के लिए भी पर्याप्त काम करें, हमें कोई आपत्ति नहीं. राज्य का विकास सबके विकास से ही संभव हो सकेगा. इसके पीछे का कारण जो भी हो, महादलित समुदाय से बिहार के मुख्यमंत्री का चयन सर्वोत्तम निर्णय है और मैं नीतीश जी के इस निर्णय का ताली बजाकर स्वागत करता हूँ. भगवान नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री को राज्य को और तेजी से विकास पथ पर अग्रसर करने की प्रेरणा दें.

    1 टिप्पणी:

    1. बधाई हो सर जी, आखिर कोई तो है ...और भी होंगे जो हटकर लिखें ... सकारात्मक पहलू को उजागर करे ...धन्यवाद! बिहार का भला, देश का भला ...हर कोई (देश भक्त) सोचता है ...तरीके अलग हो सकते हैं...जय बिहार! जय हिन्द!

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