बिजली निर्माण के शाकाहारी उपाय : बॉलीवुड सिने रिपोर्टर संपादकीय पेज 15 जनवरी 2014 अंक में प्रकाशित

 
 


नयाके दौड़ कर फिर दिसम्बर माह तक पहुंचने और उसे त्यागने और जनवरी में प्रवेश से पूर्व फिर से नयाहो जाना इस धरा पर सिर्फ बारह महीनोंके बस में है। इस आगमन के प्रथम दिवस पर ही नया’ (उलटकर पढ़ने पर) तीव्र गति यानबनकर अपने पूरे रूतबे के साथ मंगलकामनाओं की दौड़ में शिरकत करके बाजी मार लेता है। इस नवका उलटकर वनबनना ही इंसानों के जंगल से सब कुछ हासिल करना है। खुशियों के इस जंगल को तेजी से बेरोक-टोक आसमान के उपर से तीव्र गति से ओवरटेक करते हुए यह जा ... कि  वह  जा  ... की मदमस्त  अदा के साथ फिर से आमपब्लिक के खासबनने के सफर की सत्ता रूपी राजधानी के स्थायी ठिकाने से विजयी गान की ध्वनियां तरंगित हो उठी हैं। 

नए साल में फिल्मी यान  की  तुक  फिल्मी  ज्ञानसे इस तरह मिलती है कि फिल्में मल्टीप्लेक्स प्रेक्षागृहों से रोजाना  करोड़ों तक की कमाई कर  लेती हैं। अब हरेक फिल्मी ज्ञानरखने वाला, जरूरी तो नहीं कि फिल्मी यानके चालन में महारत रखता हो। तब ऐसी बहुत सी  भविष्यवाणियां, कल्पनाएं, अफवाहें शुक्रवार के दिन कोरी साबित हो जाती हैं। तब उस फिल्म विशेष के खाते में चाहे अधिक न आए पर तब भी कुल मिलाकर फिल्मी  बाजार धन में  इतना अधिक डूब जाता है कि फिल्मी  दिग्गजों की नजरें तक चैंधिया जाती हैं। इनमें यह चमक पाने  के लिए अनुभव, भाग्य, कलाकारों और तकनीक की श्रेष्ठता ही नही,ं अपितु इन सबके टीम वर्क के योगदान का प्रतिबिम्बन होता है। इस बिम्ब को यथार्थ रूप में लाने के  लिए  कुछ का कम और कुछ का सर्वोत्तम सहयोग रहता है जो इस सफलता को चरितार्थ करता है। फिर नयासाल निखरकर आता है यानबन जाता है फिल्मी यान  इसी के बल पर मिले आंकड़े  बुलंदियों को छूते हैं और प्रति सप्ताह  मिसाल दर मिसाल कायम करते जाते हैं। वैसे फिल्मी  यान की गति  भी कम पाई गई है। इनकी गति से तेज इनसे ईष्र्या करने वाले पनप उठते हैं, जिनमें से  कुछ  सिर उठाते हैं और  कुछ  शर्म से  मुंह  छिपाते हैं।

तीव्र गति इंटरनेट की, इंटरनेट तो क्या प्रकाश की गति से भी कई गुणा तीव्रता के साथ मन की गति में बदल जाती है। जिसका मुकाबला इंटरनेट इसलिए नहीं कर सकता क्योंकि वह मानव की खोज है जबकि प्रकाश गति सृष्टि नियंता द्वारा दी गई है। मन की गति के जरिए इंसान को असीम बल से भर दिया गया है ताकि अपने मानसिक बल के बूते वह सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक झंझावातों का बेहद जीवटता के साथ मुकाबला करे। मन की शक्ति से समय, सपने और भविष्य का सुनहरा संसार बुनकर एक नया वितान सृजित कर सच्चाई के साथ कला की प्रत्येक विधा के संगम रूप में फिल्मों में पेश करना एक नायाब हुनर है। मानव शक्ति की यह अद्वितीय मिसाल अन्य किसी प्राणी में मिलती नहीं है। अन्य ग्रहों में इसकी संभावनाएं खोजी तो गई हैं पर पक्के तौर पर अभी तक कुछ कहा नहीं जा सका। हरेक बार कयास ही लगाए जाते हैं पर इंसान इनसे हार न मानकर अपितु फूलों और शुभकामनाओं के हार पहनकर सुदूर ग्रहों के अपने सफर को जारी रखे हुए है। हरेक क्षेत्र में यही बढ़ना ही नया सालका साल का यानमें बदलकर तीव्र गति से रॉकेट हो जाना है।

इस दौड़ से सीखना सिर्फ उन्हीं के लिए संभव है जो आत्म-मुग्धता से बचे रहकर अतीत की कठिनाइयों से सबक लेते हुए फिर से मन की गति को अमली जामा पहनाने की अपनी सोच को सकारात्मक विस्तार देने में संलग्न हो गए हैं। यही सकारात्मकता जीवन को ईमानदारी की दौड़ के जनहित के भाव के साथ मजबूती से बनाए रखे हुए है। इस पर भी उनका जिक्र जरूरी है जो स्वयं को ब्रह्मज्ञानी मानकर सब पर अपने अज्ञान का ठीकरा फोड़ते रहते हैं, जिनमें सर्वोपरि आधुनिक शिक्षक हैं जो स्वयं के इस मुगालते से बाहर आने को तैयार नहीं हैं और अपने पूरे शिक्षक समाज के लिए निंदा का वायस बन कर रह गए हैं। सब इनसे भली भांति परिचित हैं पर सब तो फेस पर सच्चाई उगलने से बचते और इनका लिहाज करते हैं। मौका है कि इन्हें  नए साल के इस यान पर सवार होने से पहले अपनी बुराइयों को छोड़ देना चाहिए, जिससे समाज, छात्रों, सहयोगियों और साहित्य का हित सध सके। इन्हीं मास्टरों का हश्र देखकर फिल्मों से  जुड़े लोग भी सतर्क हो गए हैं। वहां पर भी ऐसा बहुतायत में होता है।

इन्हीं उलट हालातों की अगली कड़ी आज के समाज में सक्रिय बाजार ने नया साल के यान के प्रस्थान और आगमन से मुनाफा कमाना सीख लिया है। इसमें उनकी नीयत का विस्तार एक अलग ही रूप में नजर आता है, पर चकित इसलिए नहीं करता क्योंकि समाज में सब किसी न किसी रूप में मौजूद हंै। समाज का संभवतः कोई पहलू ऐसा नहीं शेष है जो नए बरस की इस यान गति के घेरे के असर से बच सका हो। इस यान की गति ने ऐसे इंसानों की कमाई भी कई गुणा बढ़ा दी है। इस गुणा को अर्जित गुण मानकर स्वीकारा है और खर्च करने वाला आनंद और मनोरंजन के नाम पर बीते आनंद और मनोरंजन के गुण में कई गुणा इजाफा किया है और अनवरत रूप से साल दर साल कर रहा है। जिससे धनार्जन का गुण कई गुणा नायाब रूप से बढ़ गया है।

इस उपलब्धि को जीवन का गुणनफल ही माना गया है और हैरानी इस बात पर होती है कि समाज सदैव इसे सकारात्मक तौर पर स्वीकारने लगा है। कमाने वाला कमा रहा है और लुटाने वाला लुटा जबकि दोनों स्वयं को मिलने वाले आनंद से सराबोर होकर खुशी से नया साल के यान में सवारी के सफर का मजा लूट रहे हैं, लुटा रहे हैं। मजे के इस सूत्र के साथ सब बीते साल के गुजरने और नया बरस के यान में सब अपना मुनाफा ही हासिल कर रहे हैं, किसी को गम नहीं है, मानसिक करतब की इस सकारात्मक उड़ान को सचमुच में जादुई ही माना जाएगा।

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