Good Bye 2013 |
सुनूं भी क्यों किसी की क्यों .. एक भी न सुनूं ऐसे किसी की जो गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज़ी बताए .. !! अब भला सरकारी तनख्वाह अंग्रेजी कैलेंडर से ही महीना पूरा होते मिलती है.. है न .. कौन अमौस-पूनौ ले दे रहा है तनख्वाह बताओ भला हमको तो खुश रहने का बहाना चाहिये. आप हो कि हमारी सोच पर ताला जड़ने की नाकामयाब कोशिश कर रहे हो .
Worm Welcome to 2014 |
हम जो आम आदमी का जीवन जीते हैं बेशक़ खुशी के बहाने खोजते हैं. ज़रा सी भी खुशी मिले झूम जाते हैं. और और क्या बस आगे क्या कहूं सदा खुश रहिये .. वैसे मैं खुश नहीं हूं कुछ अतिमहत्वाकांक्षी एवम अपनी पराजय को पराए सर पे रखने के लिये चुगली करने वालों एवम वालिओं से परीशान हूं.
बहरहाल हेप्पी न्यू ईयर टू आल आफ़ यू
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (31-12-13) को "वर्ष 2013 की अन्तिम चर्चा" (चर्चा मंच : अंक 1478) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
2013 को विदायी और 2014 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंनव वर्ष शुभ हो !