भूकंप आया, धरती हिली या सहम गई धरा, कहीं तो कुछ होगा गिरा (कविता)

आता है भूकंप
आए
जाता है भूकंप
जाए
हम सोशल म‍ीडिया
के पावन दीवाने
स्‍टेटस पहले लगाएंगे
उसके बाद भी अपनी
जान की फिक्र करेंगे नहीं

करेंगे जरूर
लेंगे जानकारी
करके रिफ्रेश
लाइक और कमेंट की।

उसके बिना कहां चैन है
सोशल मीडिया से बंधी
हमारी चैन है
हम इसी चैन के लिए
भीतर तक बेचैन हैं।

चैन जो शब्‍दों की है
विचारों की है
जीने से नहीं मिलता चैन
कमेंट और लाइक से बड़ा
नहीं इस इंटरनेट की धरा पर
अब चैन अहसास है
चैन जो एक संवेदना है
किसी को वेदना में
नहीं छोड़ सकते हैं।

दनादन स्‍टेटस लगा सकते हैं
जान की तनिक नहीं करते परवाह
हम लगते हैं इतने लापरवाह
परवाह हमें अपने स्‍टेटस की है
वह पोस्‍ट हो जाए सभी मंचों पर
कमेंट और लाइक आएं नजर।

विचार हमारे सराहे जाए
वाह वाह मच जाए
चारों ओर।
कैसे माहौल में जी रहे हैं
प्राणों से अधिक
शब्‍दों के और विचारों की जान
हमें सबसे अधिक प्रिय है।

पहले कबूतर में अटकती थी
तोते में लटकती थी
अब इंटरनेट पर
सोशल मीडिया पर
भटकती है
जान हमारी।

सोशल मीडिया है
सबसे बड़ी पहचान हमारी।

2 टिप्‍पणियां:

  1. ठंड रखिये :)
    गरमी आने वाली है
    कुछ नया नाच
    भी दिखाने वाली है
    ये सब ऐसे ही रह जायेगा
    जब किसी दिन
    देखेंगे आप
    हवा में बात करेगा
    और हवा में ही
    तालियाँ कोई
    बजायेगा
    तब आपसे क्या
    कहा जायेगा
    एक और ब्लागर
    आकर बता जायेगा :)

    जवाब देंहटाएं
  2. सोशल मीडिया , विशेषत: इन्टरनेट व्यक्ति को कितना सोशल रहने देता है , यह आप की कविता ने बता दिया ।

    जवाब देंहटाएं

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