आज की अफवाह पन्‍ना बना सच्‍चाई की बुलंद आवाज

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यह कोरी अफवाह नहीं है क्‍योंकि हिंदी लेखन से जुड़े सभी रचनाकारों की दिली चाह और हक को सम्‍मान देते हुए,  भारत सरकार का संबंधित मंत्रालय का इस संबंध में सख्‍त कानून बना रहा है। प्रस्‍तावित कानून के अनुसार जो अखबार लेखकों को सिर्फ मानदेय ही नहीं, पूरे पारिश्रमिक का रचना के स्‍वीकृत होने के बाद और प्रकाशित होने से पूर्व भुगतान नहीं करेंगे। भुगतान लेखक के बैंक खाते में होना आवश्‍यक है, जिसकी जानकारी लेखक को रचना की स्‍वीकृति के साथ दी जाएगी। इसमें यह भी समाहित रहेगा कि इस प्रकार अधिकार देने के बाद वह रचना कहीं और प्रकाशित न हो। अगर इसका उल्‍लंघन किया जाएगा तो लेखक के विरुद्ध कार्रवाई होगी।

बतला रहा हूं तनिक धैर्य साधे रहिए कि उन तथाकथित अखबार समूहों को विज्ञापन से वंचित कर दिया जाएगा। आखिर इस देश में एक मजदूर भी बिना मजदूरी के काम नहीं करता है तो लेखक का यह शोषण किसी तरह भी जायज नहीं है। अगर आप भी ऐसी ही सोच और विचारों के स्‍वामी हैं तो इस स्‍टेटस को सोशल मीडिया के सभी मंचों पर अवश्‍य साझा करें।

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1 टिप्पणी:

  1. लेखक के विरुद्ध क्या कर्यवाही होगी ?
    क्या उसे प्रधानमंत्री बना दिया जायेगा?

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