कुकुरमुत्ता

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  • सुशील कुमार जोशी
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  • जंगल में 
    उगते कुकुरमुत्ते
    को कोई
    भाव नहीं देता
    उगते चले जाते हैं
    बिना खाद पानी के
    शहर में सब्जी की
    दुकान पर
    मशरूम के नाम पर
    बिक जाते हैं
    कुकुरमुत्ते अच्छे
    भाव के सांथ
    चाव से खाते हैं
    लोग बिना डरे
    गिरगिट की तरह
    रंग बदल लेना
    या फिर कुकुरमुत्ता
    हो जाना होते नहीं
    हैं एक जैसे
    बहुत से गिरगिट
    रंग बदलते चले
    जाते हैं इंद्र्धनुष
    बनने की चाह में
    पर उन्हे पता ही
    नहीं चल पाता
    कि वो कब
    कुकुरमुत्ते हो गये
    कुकुरमुत्तों की
    भीड़ में उगते हुवे
    मशरूम भी नहीं
    हो पाये।

    5 टिप्‍पणियां:

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