भाते नहीं हमारे चित्र उन्हें
सुंदर पहले भी नहीं था
बीमारी ने चेहरा बिगाड़ दिया
भाषा ब्लॉगरों वाली हो गई।
ब्लॉगर खराब, भाषा खराब
अब विचार भी विकृत हुए
न्यू मीडिया बिगड़ गया
हिंदी-साहित्यकार के लिए ।
विशेष : हिन्दी ब्लॉगिंग, व्यंग्य लेखन और फेसबुक, ट्विटर रूपी सोशल मीडिया में सक्रियता से ही मुझे हैपिटाइटिस सी से उबरने का हौसला मिला। चार महीने का मेरा एकांत वास इसी न्यू मीडिया ने महसूस नहीं होने दिया। मेरा जीवन इसी की वजह से है, वरना मैं आज जीवित ही नहीं होता। खैर ... मेरी टिप्पणी से जिन्हें संताप हुआ। वे अपने ताप से मुक्ति पाएं और अपने प्रताप को बुलंदियों पर पहुंचाएं। इसी कामना के साथ। शिकायत आपसे नहीं, अपने से है मित्रो।
शुभकामनाएं भाई ||
जवाब देंहटाएंवाह ब्लोगिंग
जवाब देंहटाएं...आप तो सौ को मार कर मरोगे....मरकर भी नहीं मरोगे !
जवाब देंहटाएंब्लॉगर सम्मेलनों वाली भाषा की एक मिसाल देखिए :
जवाब देंहटाएं"न्यू मीडिया अभिव्यक्ति की आजादी का ही एक रूप-स्वरूप है"
हिन्दी ब्लोगिंग को एक लंबी यात्रा कराये बिना भला आप कैसे मर सकते हैं ?
जवाब देंहटाएंआप स्वस्थ रहें| शुभकामनाएँ |
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