पापा, भैया लोग मुझे ऐसी अजीब सी नज़रों से क्यों घूर रहे थे?

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  • संजीव शर्मा/Sanjeev Sharma
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  • ग्यारह बसंत पूरे कर चुकी मेरी बिटिया के एक सवाल ने मुझे न केवल चौंका दिया बल्कि उससे ज्यादा डरा दिया.उसने बताया कि आज ट्यूशन जाते समय कुछ भैया लोग उसे अजीब ढंग से घूर रहे थे.यह बताते हुए हुए उसने पूछा कि-"पापा भैया लोग ऐसे क्यों घूर रहे थे? भैया लोग से उसका मतलब उससे बड़ी उम्र के और उसके भाई जैसे लड़कों से था.खैर मैंने उसकी समझ के मुताबिक उसके सवाल का जवाब तो दे दिया लेकिन एक सवाल मेरे सामने भी आकर खड़ा हो गया कि क्या अब ग्यारह साल की बच्ची भी कथित भैयाओं की नजर में घूरने लायक होने लगी है? साथ ही उसका यह कहना भी चिंतन का विषय था कि वे अजीब निगाह से घूर रहे थे.इसका मतलब यह है कि बिटिया शायद महिलाओं को मिले प्रकृति प्रदत्त 'सेन्स' के कारण यह तो समझ गयी कि वे लड़के उसे
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    3 टिप्‍पणियां:

    1. यह उनके कुसंस्कार हैं-
      खुदा खैर करे -

      भोली-भाली बालिका, ट्यूशन पढने जाय |
      बड़े बड़े इन भाय को, बात रही ना भाय |
      बात रही ना भाय, बड़ा अचरज है उनको |
      समझ रहे थे तेज, पढ़ाई में वे तुमको |
      देखो मत उस ओर, ध्यान कर ट्यूशन खाली |
      तन मन से मजबूत, बालिका भोली भाली ||

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    2. यह सिक्स्थ सेन्स है ....इसे हलके में न लीजियेगा ...!!!!

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    3. औरत हो या लडकी यह छटी संवेदना उसमें होती ही है । तो इस और ध्यान देना वाजिब होगा वैसे भी बच्चे आजकल ज्यादा जानने लगे हैं (एक्सपोजर की हिंदी नही सूझ रही)।

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