हिन्‍दी व्‍यंग्‍य लेखन : कार्यशाला एवं व्‍यंग्‍यपाठ


आयोजन यह दिल्‍ली में है
इसमें आएंगे जो जन
मन उनके महक जाएंगे
व्‍यंग्‍य के तीखे फूल
वहां पर खिलाए जाएंगे

आप खाने मत लग जाना
फूलों को
मानवता के उसूलों को
खाने का मन हो तो
जरूर खाइएगा
इंसानी भूलों को

आप न सिर्फ खिलखिलाना
बल्कि मेरी तरह अगर आना
तो खूब सीखकर जाना
वहां से घर
मानस ही है रचनाकार
का सर्वोत्‍तम घर।

2 टिप्‍पणियां:

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