कोई मुझे राष्‍ट्रपति बना दे, फिर मेरी चाल ....


हिंदी ब्‍लॉगर या राष्‍ट्रपति ?

भारत का आम नागरिक अपने देश का राष्‍ट्रपति क्‍यों नहीं बन सकता और बनने की कौन कहे, जब उम्‍मीदवार बनने की धूमिल सी संभावना भी नजर आती नहीं दिखती है। मेरी हसरत रही है कि किसी और नहीं, परंतु अपने देश का राष्‍ट्रपति बन सकूं। राष्‍ट्रपति बनने के लिए मेरी दीवानगी का आलम यह है कि इस गरिमामयी पद को पाने के लिए मैं अपनी धर्मपत्‍नी को भी बेहिचक छोड़ सकता हूं जिससे मैं किसी का भी पति न साबित किया जा सकूं। लेकिन देश के लालची और मतलबी नेताओं और गठबंधनों के चलते मुझे अपने अरमान फलीभूत होते नहीं दीख रहे हैं। आप सोचिए, जिस देश का एक आम नागरिक अपने देश का राष्‍ट्रपति तक बनने की योग्‍यता न रखता हो, उसकी कितनी लानत-मलामत होनी चाहिए। क्‍या किसी समय ‘सोने की चिडि़या’ कहलाने वाले इस देश के लिए यह बेहद शर्म की बात नहीं है।  प्रतियोगिताओं से भी प्रतिभाएं निखर और निकल कर सबके सामने आती हैं और चमत्‍कृत करती हैं। मेरे शरीर में वे सभी योग्‍यताएं हैं जो एक राष्‍ट्रपति में होनी चाहिए और तो और मुझे साधारण नहीं, असाधारण ‘हेपिटाइटिस सी’ की बीमारी भी है ताकि मेरी विदेश यात्राओं के लिए किसी प्रकार के बहानों का इंतजाम न करना पड़े। उनकी तरह मेरे भी दो कान हैं, एक नाक, दो नशीली आंखें, फेसबुक के योग्‍य एक अदद चेहरा, सिर पर काले व सफेद बालों का संगम, 32 तो नहीं, लेकिन 25 दांत तो मौजूद हैं, जिनमें से सामने के ऊपर की पंक्ति के दो और नीचे की पंक्ति का एक आधा टूटा पीला दांत भी है। एक कान से कम सुनाई देता है, यह भी एक योग्‍यता ही है, इस बहाने से भी कई देशों की यात्राएं संपन्‍न की जा सकती हैं। ढूंढने पर ऐसी और कितनी ही शारीरिक विकृतियां मेरे शरीर में जहां-तहां मिल जाएंगी। इस प्रकार की अतिरिक्‍त योग्‍यताओं से लबालब होना राष्‍ट्रपति पद के लिए मेरी दावेदारी को पुष्‍ट करता है। मैं अपनी नाक के छिद्रों में नियमित रूप से सरसों के तेल की बूंदें टपकाता रहता हूं, जिससे जुकाम इत्‍यादि की शिकायत नहीं होती है।
मेरे पैर के घुटने मुड़ने में अटकते और चरमराने की आवाज करते हैं ताकि इनके इलाज के लिए भी मैं दो चार बार विदेश यात्रा कर सकता हूं। इसके अतिरिक्‍त कितनी ही छोटी बीमारियों, जैसे आंखों से कम दिखना और कानों से कम सुनने का मैंने जिक्र नहीं किया है और वह राष्‍ट्रपति पद पर मेरी नियुक्ति के पूर्व मेडिकल टैस्‍ट में खोज ही ली जाएंगी और अतिरिक्‍त योग्‍यता के तौर पर देश को गौरवान्वित करेंगी। मैं अपने शरीर के अंगों के सुचारू सक्रिय संचालन के लिए सदैव सतर्क रहता हूं और यही तर्कशीलता मुझे तर्कों के साथ जीवंत रखने में समर्थ है। तर्क के साथ जीना एक पब्लिक फिगर के लिए कितना जरूरी है, इसे समूचा देश अच्‍छी तरह से जानता है।
अनेक राष्‍ट्रीय पुरस्‍कारों के सरकारी आयोजनों में मुझे कई घंटे लगातार खड़े होकर पुरस्‍कारों का वितरण करना होगा। जो मेरे मजबूत पैरों के रुग्‍ण घुटनों के लिए संभव न होने के कारण कईयों की इच्‍छापूर्ति का सबब बनेगा और वे मेरे नाम से पुरस्‍कारों के वितरण का अवसर पाकर खुशी हासिल कर सकेंगे। क्‍या अब भी आप इतने अधिक प्रतिभासंपन्‍न और हुनरमंद पब्लिक के एक आम नागरिक को राष्‍ट्रपति बनाने के बारे में संशय की स्थिति में फंसे हुए हैं तो फिर देश का भला कैसे हो सकेगा ?
- अविनाश वाचस्‍पति
...

31 टिप्‍पणियां:

  1. हमारे लिए तो आप ही राष्ट्रपति हैं ब्लॉगजगत के। शानदार तीन वर्ष पूर्ण हो गए हमारे, आपके कार्यकाल में :)
    मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से रामगढ में
    जहाँ रचा गया महाकाव्य मेघदूत।

    जवाब देंहटाएं
  2. आप का शरीर तो पहले से ही इस लायक है मजा तो तब आये जब कोई दादा गिरी टाइप, हेकड़ी दिखाने वाला बन्दा इस पद पर आ जाए, फिर देखे उसकी बोलती व् हेकड़ी कैसे बाद होती है हा हा हा हा

    जवाब देंहटाएं
  3. हम एक आम आदमी होते हुए आपको नामित करते हैं इस पद के लिए,हालाँकि ऐसा करने का अधिकार अभी हमें भी नहीं है !

    जवाब देंहटाएं
  4. Abhi bhi aap men bahut si yogyatayen nahin haen,maslan gandhi pariwar ka bhakt,puppet,purana congressie hona,etc.isliye is sapne ko dafna dijiye

    जवाब देंहटाएं
  5. डॉ. महेन्‍द्र जी, सपने देखने और उन्‍हें ब्‍लॉग या फेसबुक पर उकेरना वर्जित नहीं है। सपने देखें तो ही वास्‍तविकता में बदलेंगे। कभी सोचा भी था कि यह सपना देख सकेंगे लेकिन देख रहे हैं। यह क्‍या कम है भाई। अभिव्‍यक्ति की आजादी आई।

    जवाब देंहटाएं
  6. अरे ये लोग तो सही व्‍यक्‍ति‍ को नामि‍त करने से चूक गए इस बार भी ?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अगली बार न चूकें इसलिए इस बार प्रतिक्रिया जाहिर कर ही दी है मैंने। आखिर कब तक शर्माता रहता।

      हटाएं
  7. उत्तर
    1. शुक्रिया डॉक्‍टर साहब, अगर उम्‍मीदवारी बन जाए तो वोट की दया अवश्‍य कीजिएगा।

      हटाएं
  8. आपके ब्लॉग की चर्चा। यहाँ है, कृपया अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएं

    शुभकामनाएं


    मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से रामगढ में

    जहाँ रचा गया महाकाव्य मेघदूत।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. यह तो भावी राष्‍ट्रपति का सौभाग्‍य है कि उन्‍हें हिंदी ब्‍लॉग पर प्रतिक्रिया के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। ललित जी पहुंच रहा हूं।

      हटाएं
  9. ये राजनीतिज्ञ फालतू ही उलझे पड़े आपसे बढ़िया इस पद के लिए उम्मीदवार कौन हो सकता है?
    हमारा तो आपको पूरा समर्थन है :)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया रतन जी। राष्‍ट्रपति पद पाने के लिए एक वोट की हसरत ही आसमान छूना होती है और यहां पर हिंदी ब्‍लॉगिंग के आसमान के सितारे मेरे समर्थन में तैयार हैं। यह मेरा सौभाग्‍य है।

      हटाएं
  10. .

    कलाम और प्रणब दा से निसंदेह ही बेहतर हैं आप। आप भी चुनाव लड़िये, निर्विवाद बनेंगे राष्ट्रपति। लेकिन खुदा न खास्ता कोई अन्य ब्लॉगर भी नामांकित हो गया तो आपकी राष्ट्रपति बनने की अभिलाषा खटाई में पड़ जायेगी।

    I vote for you !

    .

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. क्‍योंकि मैं राजनीतिज्ञ नहीं हूं इसलिए किसी ब्‍लॉगर से मेरी प्रतिद्वंद्विता को सिरे से ही खारिज समझा जाए। मैं बेशर्त किसी भी ब्‍लॉगर के लिए अपनी उम्‍मीदवारी अगर बनती है तो छोड़ने के लिए तैयार हूं।

      हटाएं
  11. इस बार तो चूक गए आप, अगली बार मत चुकिएगा ..... ममता मे बहकर निर्णय मत लीजिएगा। निर्णय लेने के मामले मे मुलायम रहना जरूरी है । फिर तो माया भी आपको मिल जाएगी और राम के साथ-साथ वाम भी । हमारी बारी तो बाद मे आएगी, संभव है वोट की नौबत ही न आए । अगर हमारी बारी आ भी गयी तो नियम और शर्तों के आधार पर हम वोट तो देंगे ही आपको।

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (17-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

    जवाब देंहटाएं
  13. bahut hi badhiya prastut kiya haoi aapne aam aadami ko...... Kya main isko copy kar sakta hu apne blog par ... lekin aapke hi naam se?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जरूर चाहें तो चित्र भी छाप लीजिएगा महामहिम राष्‍ट्रपति जी का

      हटाएं
  14. जरूर युवा क्‍लब जी, लेकिन फीस लगेगी पांच किलो दशहरी आम जिसमें से चार किलो आपको खुद ही खाने होंगे और एक किलो प्रसाद के तौर पर बंटवाने होंगे।

    जवाब देंहटाएं
  15. राष्ट्र भी है और आप पति भी हो ।
    हो गये ना राष्ट्रपति ।

    जवाब देंहटाएं
  16. कल के अखबारों में इस विषयक विस्‍तार से समाचार पढि़एगा।

    जवाब देंहटाएं
  17. **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
    ~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
    *****************************************************************
    बेहतरीन रचना
    दंतैल हाथी से मुड़भेड़
    सरगुजा के वनों की रोमांचक कथा



    ♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥

    ♥ पढिए पेसल फ़ुरसती वार्ता,"ये तो बड़ा टोईंग है !!" ♥


    ♥सप्ताहांत की शुभकामनाएं♥
    ब्लॉ.ललित शर्मा
    *****************************************************************
    ~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
    **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**

    जवाब देंहटाएं
  18. Jaha chah wanha rah
    aapke andar to rastrpati banne ke bahut saare guun hai .Umeed rakhiye ham aapke sath hai.

    जवाब देंहटाएं
  19. वाह, क्या बात है...
    वैसे अपने राष्ट्रपति बनाने की वांछित योग्यताएं बता दी...
    एक योग्यता रह गई जो इस समय जरुरी थी, क्या अपने कभी किसी गाँधी-नेहरु खानदान की रसोई आदि पकाई है... या फिर आप बाबा के सिंहासन पर बैठने में बाधा बन रहे थे..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अच्‍छा यह योग्‍यताएं भी होनी चाहिएं। फिर लोकतंत्र कैसे हुआ भारत में, यह तो राजतंत्र कहा जाना चाहिए।

      हटाएं
  20. व्यंग्य का पुट लिए तीव्र कटाक्ष करता हुआ लेख ..ऐसे ही हालात हैं ....न जाने क्या क्या देखने को मिलेंगे अभी ..कुआ मोती खा रहा है
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. व्यंग्य का पुट लिए तीव्र कटाक्ष करता हुआ लेख ..ऐसे ही हालात हैं ....न जाने क्या क्या देखने को मिलेंगे अभी ..कौआ मोती खा रहा है
      भ्रमर ५
      भ्रमर का दर्द और दर्पण

      हटाएं

आपके आने के लिए धन्यवाद
लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

 
Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz