हज़ूर की शान में कमी आते ही हज़ूर मातहओं को कौआ बना देने में भी कोई हर्ज़ महसूस नहीं करते. मार भी देते हैं लटका भी देते हैं .. सच कितनी बौनी सोच लेकर जीते हैं तंत्र के तांत्रिक .जब भी जवाव देही आती है सामने तो झट अपने आप को आक्रामक स्वरूप देते तंत्र के तांत्रिक बहुधा अपने से नीचे वाले के खिलाफ़ दमन चक्र चला देते हैं. कल ही की बात है एक अफ़सर अपने मातहतों से खफ़ा हो गया उसके खफ़ा होने की मूल वज़ह ये न थी कि मातहत क्लर्कों ने काम नहीं किया वज़ह ये थी कि वह खुद पत्र लिखने में नाक़ामयाब रहा. और नाकामी की खीज़ उसने अपने मातहतों को गरिया के निकाली.

”Lick upper & cick below” तंत्र में आपकी सफ़लता का राज़ हो सकता है अंग्रेज़ शायद यही तो सिखा गये हैं.
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