कहा जा रहा है जिन्हें अतिथि, सब सतिथि हैं, यही सच्चाई है | |||
निमंत्रणः रवींद्र प्रभात के नवीनतम उपन्यास 'प्रेम न हाट बिकाय' का विमोचन। आमंत्रित अतिथिः प्रताप सहगल, सुभाष नीरव, डॉ हरीश अरोड़ा, राजीव रंजन प्रसाद, अविनाश वाचस्पति, रवींद्र प्रभात |
आज 4 मार्च को 5 बजे शाम
हिंद युग्म के स्टॉल संख्या 59 , हॉल संख्या-11
प्रगति मैदान, दिल्ली
क्लोजिंग लोकार्पण है
प्रेम की क्लोजिंग नहीं
होगी ओपनिंग प्रेम की
प्रेम की क्लोजिंग और
क्लोनिंग होती नहीं है
वैसे लोन पर भी नहीं
मिलता है प्रेम
प्रेम हाट पर भी
नहीं बिकता है
फिर भी पसरा हुआ है
चारों तरफ प्रेम
गर शक है कोई
प्रेम जनमेजय से जान लो
प्रताप सहगल की मान लो
मेरी नहीं मानते, न सही
रवीन्द्र प्रताप ने जो ठाना है
उसे ठनठनाहट के स्वर दो
स्वर जो प्रेम है
स्वर जो धर्म है
कान का ही नहीं
प्रत्येक नेक अंग का
होली पर नेक रंग का
भंग का रंग है
मन की तरंग है
होली आ रही है
प्रेम की लेकर तरंग है
आप मिलने आ रहे हैं
हम तो हिंदी चिट्ठाकारों का
आज होली मिलन मना रहे हैं
'प्रेम हाट न बिकाय' के संग
आओ आप भी शामिल हों
प्रेम की चल रही है जंग
प्रेम का पूरे भारत में वास है
शैलेश से पूछ लो
हिंद युग्म में पहचान लो
यह पर्व रंगपर्व है
इससे रंगों की ज्योतियां
बिखरती हैं मन में
और प्रेम न बिकते हुए भी
अनमोल हो जाता है।
हार्दिक शुभकामनाये प्रभात भाई को....प्रभात यानी तेजी से बढ़ती प्रतिभा का नाम . . आप दोनों इसी तरह मिलजुल कर काम करते रहें.
जवाब देंहटाएंप्रभात जी को हार्दिक शुभकामनायें…………पहले पता तो होता तो कल नही जाते आज चले जाते मगर अब जाना संभव नही।
जवाब देंहटाएंबढ़िया है ☺
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ सभी ब्लॉगर्स को.....
जवाब देंहटाएंसुबह ही रविन्द्र जी ने बताया था, सुबह से ही गाज़ियाबाद गया हुआ था, अभी-अभी वापिसी हुई है.... वर्ना अवश्य पहुँचता...
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