सुविख्‍यात व्‍यंग्‍यकार-साहित्‍यकार डॉ. शेरजंग गर्ग ने 'व्‍यंग्‍य का शून्‍यकाल' का लोकार्पण किया


'व्‍यंग्‍य का शून्‍यकाल' का लोकार्पण करते हुए डॉ. शेरजंग गर्ग साथ में हैं कथाकार संजीव, डॉ. राजेन्‍द्र अग्रवाल, अविनाश वाचस्‍पति एवं कवि मदन कश्‍यप
नई दिल्‍ली। मैंने पढ़ा है कि शब्‍दों के साथ किस तरह खेलते हैं, सिर्फ खेलते ही नहीं, स्थितियों और परिस्थितियों को भी व्‍यंग्‍य का निशाना बनाते हैं। बहुत से व्‍यंग्‍यकारों को हम पढ़ते हैं तो समझ नहीं पाते कि यह क्‍या कह रहे हैं। सुविख्‍यात व्‍यंग्‍यकार डॉ. शेरजंग गर्ग ने अपने विचार अविनाश वाचस्‍पति की पहली व्‍यंग्‍य पुस्‍तक व्‍यंग्‍य का शून्‍यकाल को विश्‍व पुस्‍तक मेले में लोकार्पित करते हुए प्रकट किए। पुस्‍तक की भूमिका 'व्‍यंग्‍य यात्रा' के संपादक एवं ख्‍यातिनामा व्‍यंग्‍यकार डॉ. प्रेम जनमेजय ने लिखी है। लोकार्पण के समय वे मंच उपस्थित थे लेकिन प्रकाशक द्वारा चित्र उपलब्‍ध न करवाए जाने के कारण उसका प्रकाशन न किए जा सकने के लिए खेद है। 
उन्‍होंने यह भी कहा कि अविनाश के मामले में मैंने महसूस किया है कि उनमें भाषा के साथ व्‍यंग्‍य की समझ है, विसंगतियों की समझ है। अगर हम उदय प्रकाश की मोहनदास को पढ़ें तो पता लगेगा कि व्‍यंग्‍य होता क्‍या है ? हरिशंकर परसाई, श्री लाल शुक्‍ल ने मात्र व्‍यंग्‍य के लिए व्‍यंग्‍य नहीं लिखा, इन्‍होंने जीवन के दृष्टिकोण को सामने रख कर लिखा। जीवन की तकलीफों और विसंगतियों को समझते हुए लिखा जो कि एक बहुत बड़ी बात है।
अविनाश वाचस्‍पति ने छोटे छोटे टुकड़ों मे, छोटे छोटे विषयों को उठाकर जो व्‍यंग्‍य की सृष्टि की है, उसके लिए बधाई देते हुए डॉ. गर्ग ने कहा कि यह तुम्‍हारी पहली किताब है। अगर पहली किताब इतनी सुंदर रचनाओं के साथ इतने अच्‍छे रूप में छप सकती है, तो अपनी अन्‍य रचनाओं को तैयार रखो। बहुत सारे प्रकाशक इसमें व्‍यंग्‍य की नई दृष्टि को देखकर इन्‍हें प्रकाशित करना चाहेंगे।
उल्‍लेखनीय है कि हिन्‍दी चिट्ठाकारी में सर्वाधिक चर्चित व्‍यक्तित्‍व अविनाश वाचस्‍पति के लगभग 35 हिंदी चिट्ठे हैं, जिन पर वे सदैव सक्रिय रहकर हिंदी का विकास कर रहे हैं और सबको प्रोत्‍साहित कर रहे हैं। अंतर्जाल पर किए गए इनके कार्यों की एक विशिष्‍ट पहचान है। भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के हिंदी साहित्‍य सम्‍मान से वर्ष 2008-2009 के लिए इन्‍हें सम्‍मानित किया जा चुका है। हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग पर रवीन्‍द्र प्रभात के साथ मिलकर संपादित की गई इनकी पहली प्रामाणिक पुस्‍तक हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग : अभिव्‍यक्ति की नई क्रांति को प्रगतिशील ब्‍लॉगर लेखक संघ, लखनऊ द्वारा हिंदी चिट्ठाकारी का शिखर सम्‍मान प्रदान करने की घोषणा की गई है। विश्‍व पुस्‍तक मेले के अवसर पर अविनाश वाचस्‍पति विरचित व्‍यंग्‍य पुस्‍तक व्‍यंग्‍य का शून्‍यकाल का लोकार्पण वरिष्‍ठ व्‍यंग्‍यकार-साहित्‍यकार डॉ. शेरजंग गर्ग के कर कमलों से सोमवार 27 फरवरी 2012 को नई दिल्‍ली के प्रगति मैदान में संपन्‍न हुआ। इस अवसर पर अनेक चर्चित साहित्‍यकार-रचनाकार उपस्थित रहे। जिनमें डॉ. प्रेम जनमेजय, अनूप श्रीवास्‍तव, कवि मदन कश्‍यप, कथाकार संजीव और कवि-व्‍यंग्‍यकार उपेन्‍द्र कुमार उल्‍लेखनीय हैं। इनके अतिरिक्‍त जयपुर से हरि शर्मा, मैनपुरी से शिवम् मिश्र, करनाल से अंजु चौधरी तथा नई दिल्‍ली से हिन्‍दी चिट्ठाकार साथियों पवन चंदन, राजीव तनेजा, पद्मसिंह, सुमित प्रताप सिंह, संतोष त्रिवेदी, सुनीता चोटिया, अभिषेक कुमार इत्‍यादि सैकड़ों चिट्ठाकारों ने भारी तादाद में शिरकत करके कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। हिन्‍दी साहित्‍य निकेतन के डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल, मीना अग्रवाल एवं अयन प्रकाशन के श्री भूपी सूद भी कार्यक्रम में अंत तक मौजूद रहे। हिन्‍दी चिट्ठाकारी पर डॉ. हरीश अरोड़ा के साथ संपादित ब्‍लॉग विमर्श नामक पुस्‍तक शीघ्र प्रकाशित हो रही है। कार्यक्रम का संचालन सलिल वर्मा ने मनोहारी अंदाज में किया।

ब्‍लॉग एवं जनहित में इस समाचार का प्रकाशन समाचार पत्र-पत्रिकाओं एवं वेबसाइटों और चिट्ठों पर किया जा सकता है।

16 टिप्‍पणियां:

  1. prakashak kaun hain aur prati kahan se milegi. yadi sambhav ho to do pratiyan mere pate par bhizwa den.... VPP dwara....
    kumar palash
    C/234, hari nagar
    barakar,
    district : dhanbad
    jharkhand

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  2. प्रकाशक व पुस्‍तक की जानकारी आज नवभारत टाइम्‍स में पेज चार पर भी प्रकाशित है। वैसे नोट कर लीजिएगा

    ज्‍योतिपर्व प्रकाशन

    एस-1/3, हाल नंबर 11

    विश्‍व पुस्‍तक मेला
    प्रगति मैदान

    नई दिल्‍ली

    प्रकाशक का पता

    ज्‍योतिपर्व प्रकाशन

    99, ज्ञान खंड-3, इंदिरापुरम

    गाजियाबाद 201012

    फोन नंबर 9811721147

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  3. जानकारी वैविद्ध्य-पूर्ण है.
    ..पर पवन भाई,अब तो मैं भी अच्छा-खासा बड़का-ब्लॉगर हूँ.मेरी उपस्थिति को आप क्यूं भूल गए ?
    माननीय सलिल वर्मा जी सञ्चालन कर रहे थे,वो भी निपट गए !

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  4. संतोष जी आपको कैसे भूल सकते ? ऐसी सोच को मत पालिए...

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  5. होली है होलो हुलस, हाजिर हफ्ता-हाट ।

    चर्चित चर्चा-मंच पर, रविकर जोहे बाट ।


    रविवारीय चर्चा-मंच

    charchamanch.blogspot.com

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    उत्तर
    1. रविकर जी तो अविनाश के मज़ाक का भी बुरा मान गए हैं। खैर ... जब हम सचमुच में कहेंगे तब वे मान जाएंगे।

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  6. Badhaee ho ..

    writerindia.com
    Mediadalal.com
    Sakshatkar.com

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  7. बहुत बहुत हार्दिक बधाई अविनाश जी को…………वैसे उस अवसर पर हम भी मौजूद थे :(

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  8. बहुत बेहतरीन....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  9. बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
    बधाई हो!
    रंगों के त्यौहार होलिकोत्सव की अग्रिम शुभकामनाएँ!

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  10. बेहतरीन प्रस्तुति .होली मुबारक .

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  11. शायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चाआज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
    सूचनार्थ

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