ज्वाला पुंज डॉ. सुभाष राय और मन की आग उगलती कलम |
- डॉ. गिरीश पंकज के फेसबुक स्टेटस से साभार।
डॉ. सुभाष रॉय एक मशहूर हिंदी चिट्ठाकार भी हैं जो कि अपने चिट्ठों साखी और बात बेबात के लिए संपूर्ण हिंदी जगत में जाने जाते हैं तथा नुक्कड़ से भी जुड़े हुए हैं। हिंदी चिट्ठाकारी के उन्नयन के लिए किए गए उनके कार्य किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।
अभी थोड़ी देर पहले जब अखबार का संपादीय पृष्ठ पढ़ा, तो एक जोरदार झटका लगा। हालांकि नये प्रबंधक के कारण जैसी स्थितियां बन रही थीं, उससे यह आशंका तो थी, पर मन ही मन दिल इस स्थिति को टालने की कामना भी कर रहा था। अभी-अभी हरे प्रकाश जी बात हुई है, सुभाष जी से बात नहीं हो पाई है। उन्होंने और हरे भाई ने जिस साहस का परिचय दिया है, वह आज की पत्रकारिता में सचमुच दुर्लभ है। उनके साहस को सलाम करता हूं।
जवाब देंहटाएंडॉ. सुभाष राय के खुद्दार मन को नमन...
जवाब देंहटाएंyah bada dukhad hay,lekin aaj hindi sampadako ko bahut kuch zhelna padta hay, lakhnow yatra ke doran mera in se milna hua tht, behad hi ghambhir kisim ke magar jindadil aadmi hay,ho sakta hay ki nai kursi in ka intzar kar rahi ho,jaha yah aur bhi khul kar kalam chala saken.
जवाब देंहटाएंlalitya lalit
यह दुखद है.समझदार और आत्मसम्मानी संपादक का इस तरह अलग होना कष्टकारक है.
जवाब देंहटाएंआत्म सम्मान बेंच कर काम करने से तो यह अच्छा ही है...
जवाब देंहटाएंbhai subhash ptrkarita ke bebak yoddha hai nmn
जवाब देंहटाएंBAHUT HEE GHAATAK KHABAR HAI . JAN SANDESH KAA
जवाब देंहटाएंRANG - ROOP SUBHASH JI NE NIKHARA , UCHCHSTARIY
SAAMAGREE SE USE SANWAARAA . CHHOTEE SEE AVDHI
MEIN UNHONNE PATKARIRA KE SAHITYA MEIN AESEA
JAADOO BIKHERA JO SAR PAR CHADH KAR BOLAA HEE
NAHIN DIL MEIN UTRA BHEE . KHAIR , MAIN UNKEE
KHUDDAREE KO SALAAM KARTA HUN AUR UNKE UJJWAL
BHAVISHYA KEE KAAMNAA KARTAA HUN .