जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ के यशस्वी संपादक और लेखक डॉ. सुभाष राय ने इस्तीफ़ा दिया

ज्‍वाला पुंज डॉ. सुभाष राय और मन की आग उगलती कलम
जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ के यशस्वी संपादक और लेखक डॉ. सुभाष राय ने इस्तीफ़ा दे दिया है. कारण साफ़ है. संपादक की स्वतंत्रता पर जब प्रबंधन हस्तक्षेप करने लगेगा, तो कोई भी खुद्दार संपादक बर्दाश्त नहीं करेगा. अब पत्रकारिता में मैनेजमेंट का वर्चस्व बढ़ गया है. डा. राय सपादक-पद की गरिमा के लिए लड़ते रहे. यह मैंने लखनऊ -प्रवास के दौरान देखा भी. इन्हीं सब कारणों से मुझे भी कई अखबार छोड़ने पड़े. आप मालिकों के दलाल बन कर काम करते रहें, तो जमे रहेंगे. लेकिन विशुद्ध पत्रकारिता करेंगे, तो मालिक सुलग उठेगा, उसके चमचे कान भरते हुए आपको परेशान कर देंगे. ''मिठलबरा की आत्मकथा'' नमक मेरा उपन्यास इसी चरित्र को बेनकाब करता है. खैर, सुभाष राय जैसे संपादक अपनी राह खुद बना लेंगे. उन्हें मेरी शुभकामना. अस्मिता की लडाई लड़ने वाले इस दौर में भी ज़िंदा है, यह देख मुझे खुशी होती है, वरना अब जो हाल है हिंदी पत्रकारिता के पतन का, वह सबके सामने है.


- डॉ. गिरीश पंकज के फेसबुक स्‍टेटस से साभार।


डॉ. सुभाष रॉय एक मशहूर हिंदी चिट्ठाकार भी हैं जो कि अपने चिट्ठों साखी और बात बेबात के लिए संपूर्ण हिंदी जगत में जाने जाते हैं तथा नुक्‍कड़ से भी जुड़े हुए हैं। हिंदी चिट्ठाकारी के उन्‍नयन के लिए किए गए उनके कार्य किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। 

7 टिप्‍पणियां:

  1. अभी थोड़ी देर पहले जब अखबार का संपादीय पृष्‍ठ पढ़ा, तो एक जोरदार झटका लगा। हालांकि नये प्रबंधक के कारण जैसी स्थितियां बन रही थीं, उससे यह आशंका तो थी, पर मन ही मन दिल इस स्थिति को टालने की कामना भी कर रहा था। अभी-अभी हरे प्रकाश जी बात हुई है, सुभाष जी से बात नहीं हो पाई है। उन्‍होंने और हरे भाई ने जिस साहस का परिचय दिया है, वह आज की प‍त्रकारिता में सचमुच दुर्लभ है। उनके साहस को सलाम करता हूं।

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  2. डॉ. सुभाष राय के खुद्दार मन को नमन...

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  3. yah bada dukhad hay,lekin aaj hindi sampadako ko bahut kuch zhelna padta hay, lakhnow yatra ke doran mera in se milna hua tht, behad hi ghambhir kisim ke magar jindadil aadmi hay,ho sakta hay ki nai kursi in ka intzar kar rahi ho,jaha yah aur bhi khul kar kalam chala saken.
    lalitya lalit

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  4. यह दुखद है.समझदार और आत्मसम्मानी संपादक का इस तरह अलग होना कष्टकारक है.

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  5. आत्म सम्मान बेंच कर काम करने से तो यह अच्छा ही है...

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  6. BAHUT HEE GHAATAK KHABAR HAI . JAN SANDESH KAA
    RANG - ROOP SUBHASH JI NE NIKHARA , UCHCHSTARIY
    SAAMAGREE SE USE SANWAARAA . CHHOTEE SEE AVDHI
    MEIN UNHONNE PATKARIRA KE SAHITYA MEIN AESEA
    JAADOO BIKHERA JO SAR PAR CHADH KAR BOLAA HEE
    NAHIN DIL MEIN UTRA BHEE . KHAIR , MAIN UNKEE
    KHUDDAREE KO SALAAM KARTA HUN AUR UNKE UJJWAL
    BHAVISHYA KEE KAAMNAA KARTAA HUN .

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