मेन इन यूनिफ़ॉर्म // MEN IN UNIFORM

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  • vijay kumar sappatti
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    पहला भाग
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    धाँय ....धाँय ....धाँय .....

    तीन गोलियां मुझे लगी ,ठीक पेट के ऊपर और मैं एक झटके से गिरा....गोली के IMPACT और जमीन की ऊंची -नीची जगह के घेरो ने मुझे तेजी से वहां पहुचाया , जिसे NO MAN'S LAND कहते है ... मैं दर्द के मारे कराह उठा.. पेट पर हाथ रखा तो देखा भल  भल  करके खून आ रहा था .. अपना ही खून देखना ... मेरी आँखे मुंदने लगी ... कोई चिल्लाया , मेजर , WE ARE TAKING YOU TO HOSPITAL.....देखा तो मेरा दोस्त था ...मेरे पास आकर बोला " चल साले , यहाँ क्यों मर रहा है , हॉस्पिटल में मर "... मैंने हंसने की कोशिश की ,उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे मेरे चहरे पर....

    मेरी आँखे बंद हो गयी तो कई IMAGES मेरे जेहन में आने लगे , मैं मुस्करा उठा, कही पढ़ा था की मरने के ठीक १५ मिनट पहले सारी ज़िन्दगी याद आ जाती है ... मैंने गाडी की खिड़की से बाहर  देखा , NO MAN'S LAND पीछे छूट रहा था .. ...ये भी अजीब जगह है यार , मैंने मन ही मन कहा ... दुनिया में सारी लड़ाई , सिर्फ और सिर्फ LAND के लिए है और यहाँ देखो तो कहते है NO MAN'S LAND......

    कोई और IMAGE सामने आ रही थी , देखा तो , माँ की थी , आगे पढ़े

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