क्यों रूठते हो यार मेरे ...

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    क्यों हमसे रूठते हो, बात नहीं इतनी बड़ी ?
    दोस्ती और प्यार मै, तकरार क्यों इतनी बड़ी ?

    चाहकर मैंने तुम्हे, इतना सा बस कह दिया 
    इश्क का है दोर साथी, हमने भी इश्क ही किया 

    जाने क्यों तुमको बुरी लगी, बात इतनी थी नहीं 
    एक पंछी दुसरे को,  ढूंढता है हर कहीं 

    जब मैंने खोजा अपना जोड़ा, कोन सा गजब ढा गया 
    अश्क समंदर मै गिरा  ,यार  ये वक्त कैसा आ गया ?

    हाँ  जानता हूँ मै तुझे, पहचानता हूँ मै तुझे 
    बंद करके आख भी, पहचान लूँगा मैं तुझे 

    भूल जाऊ, भूल जा,  ना याद आउ  भूल जा 
    इश्क क तूफ़ान मैं  मे, मै  न आउ भूल जा 

    जानम मुझे भी याद है वो जमाना प्यार का 
    आकर सामने हमारे, गुल खिलाना प्यार का 

    आज फिर मोसम वही है याद आया दोर  क्या 
    छोड़ दूँ इस जहा को तेरे बिना फिर और क्या.

    देवेन्द्र ओझा 

    1 टिप्पणी:

    आपके आने के लिए धन्यवाद
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