पहले मैं शुभकामनाओं के लिए,
सुखाए गए पत्तों या काग़ज़ के… अपने हाथ से बनाए ग्रीटिंग कार्ड भेजता था.
फिर दुकान से ख़रीद कर भेजने
लगा.
फ़ोन आने पर, फ़ोन से ही
शुभकामनाएं दे दी जातीं.
कंप्यूटर आने पर इलेक्ट्रानिक
ग्रीटिंग कार्ड जाने लगे.
फिर इलेक्ट्रानिक ग्रीटिंग
कार्ड के बजाय केवल ई-मेल भेज कर काम चलाने लगा.
मोबाईल आए तो SMS से शुभकामनाएं
दे दी जातीं.
फ़ेसबुक आने से अब बस वहां
लिख आता हूं (जिसे पढ़ना हो जाकर पढ़ ले भई).
कल हो सकता है कि मैं मन
ही मन सोच कर इतिश्री मान लूं कि चलो पीछा छूटा, हो गया ये काम भी J
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-काजल कुमार
काजल जी , ब्लॉग को तो भूल ही गए ।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।
नव वर्ष
जवाब देंहटाएंलाये जीवन में उत्कर्ष,हर्ष : -)
काजल भाई अगले साल से टेलीपैथी से आपस शुभकामनाएं दे देंगे..अभी तो कमेन्ट से ही शुभकामनाएं स्वीकारें...
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
जवाब देंहटाएंतेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा ।
http://tetalaa.blogspot.com/
बहुत सुन्दर ... सादर बधाई और नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं
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