चिट्ठा क्या है
विचारों की आग की तपन को मानस तक पहुंचाने का तंदूर जिससे न तो
देश दूर है और न विदेश। प्रत्येक नेक तन मन के आसपास है जिसका बसेरा। ऐसा नूतन है
सवेरा जो प्रात:काल की सूर्य की ऊर्जा प्रदायी किरणों के तौर पर मन में उतरता है
और बस जाता है।
चिट्ठा कौन बना सकता है
प्रत्येक जीवधारी या निर्जीव भी चिट्ठे पर सक्रिय रह सकता है।
निर्जीव की सक्रियता के लिए क्रिया किसी अन्य को करनी होगी और ऐसा हो रहा है।
बिल्लियों, चूहों, कुत्तों, काकरोचों, छिपकलियों के चिट्ठे भी सक्रिय हैं।
चिट्ठे से होने वाले फायदे
इनसे लाभ ही लाभ हैं, नुकसान तो है ही नहीं। पहले चिट्ठी हुआ
करती थीं, वही कार्य आज चिट्ठे कर रहे हैं। चिट्ठी से भी अधिक सक्रियता और
खूबसूरती से। चिट्ठी क्योंकि स्त्रीलिंग है और चिट्ठा पुल्लिंग इसलिए कल की
चिट्ठी से आज का चिट्ठा अधिक ताकतवर है। जबकि कई बार चिठ्ठियां भी अपना रौद्र रूप
यदा कदा दिखला ही देती हैं। जैसे अन्ना हजारे की चिट्ठी, पीएम की चिट्ठी इत्यादि।
चिट्ठियों का वाहन कबूतर भी रहे हैं जबकि चिट्ठे स्वयं ही सहस्त्राश्व बलधारी
हैं। उनमें अनेक घोड़ों की ताकत का जलवा दिखाई देता है।
सिर्फ घोड़े ही नहीं, शेर, हाथियों, गैंड़ों सभी प्रकार के
प्राणियों का बल इनमें समाया हुआ है। इनमें धूर्त व कायर जानवर यथा भेडि़या,
लोमड़ी, सियार की प्रवत्तियां भी सिर उठाती रहती हैं।
चिट्ठे किसके बिना संभव नहीं हैं
कंप्यूटर, इंटरनेट जरूरी हैं और अब यह मोबाइल पर भी तेज सवारी
कर रहे हैं और तेजी से दौड़ते दिखलाई देते हैं। इंसान के दिमाग की आग इसका
अनिवार्य इंधन है। इसमें धन भी मिलने लगा है परंतु जिन्हें मिल रहा है वे इसे
गोपनीय रखे हुए हैं और किसी अच्छे मौके पर ओपन करने के इंतजार में हैं। मतलब कभी
माई कहा करेगी जा बेटा चिट्ठा बना और कमाई कर।
चिट्ठा पट्ठा है क्या
माना जाना चाहिए परंतु मूल रूप से यह पट्ठा हिंदी का है। उल्लू
अथवा हुड़कचुल्लू, पप्पू, मुन्ना, संता, बंता वगैरह का यहां पर अभी कोई काम
नहीं है। हिंदी को बल प्रदान कर रहा है। इसके आने से हिंदी ताकतवर हुई है। इसकी
पहचान और प्राणों में जीवंतता आई है। इससे जुड़कर अब हिंदी प्रेमी भी खुद को मजबूत
और लोकप्रिय मान रहा है और सब इसे स्वीकार रहे हैं।
चिट्ठों का भविष्य और इन्हें खतरा
भविष्य खूब उज्ज्वल है और खतरा तो है ही नहीं। इनसे सबको खतरा
है जिसमें सरकार भी है। जबकि वह सबसे ताकतवर है और मानी भी जाती है। हिंदी के बहुत
उपजाऊ भूमि उपलब्ध करा रहे हैं।
चिट्ठे पर टिप्पणी की उपयोगिता और भूमिका
चिट्ठे का प्राणतत्व पोस्ट और टिप्पणी में निहित है। इसे
प्रत्येक हिंदी चिट्ठाकार जानता है और इसके लिए सदैव प्रयत्नशील रहता है। एक
टिप्पणी का मिलना भारत रत्न से कम अहमियत नहीं रखता है। पर अगर आप टिप्पणी का
दान नहीं करते हैं तो फिर आप असली चिठ्ठाकार नहीं हैं। इसलिए टिप्पणीदान कीजिए और
असली चिट्ठाकार बनिए।
हिंदी चिट्ठों के संदर्भ में विवाद, संवाद
और उलझाव
सभी वाद इसमें भी प्रभावी भूमिका निबाहते हैं। इसके अलावा कईयों
में तो मवाद भी मौजूद रहता है परंतु उसकी चिकित्सा के उपाय खोज लिए गए हैं। विवाद
पैदा करके संवाद बनाने की प्रक्रिया सदैव गतिशील रहती है। इससे कई बार उलझाव हो
जाते हैं। वैसे उलझाव तो फेसबुक से भी हो रहे हैं परंतु वे सिर्फ उतनी देर के लिए
हैं जब तक रबर की एक गेंद को तेजी से धरातल पर पटका जाता है क्योंकि अगले ही पल
वह अप्रत्याशित रूप से ऊपर की ओर छलांग लगाती है लेकिन न्यूटन के द्वारा पृथ्वी
के गुरुत्वाकर्षण की खोज किए जाने के कारण वापिस नीचे आती है, जिससे चिट्ठाकारों
में निराशा व्याप्त जाती है। जबकि वह समय विश्वास कायम करने का होता है कि अगली
बार वे इससे भी तेजी से रबर की गेंद को धरती पर दे मारेंगे और वह और तेजी से ऊपर
की ओर उछलेगी। इस उछलने के साथ ही चिट्ठाकार के मन में खुशी की छलांगे लगनी शुरू हो
जाती हैं। पर वह खुशी प्रकट करने का स्थान फेसबुक है। चिट्ठे पर फेस का विकल्प न
होने के कारण, फेसबुक पर प्रसन्नता व्यक्त की जाती है। इसलिए आप चिट्ठे और
फेसबुक को प्रतिद्वंद्वी न मानकर पूरक मानिए।
क्या जल्द ही कोई चिट्ठाकारिता संगोष्ठी
भारत के किसी शहर में आयोजित हो रही है
जी हां, मुंबई के कल्याण स्थित के.एम. अग्रवाल कॉलेज, कल्याण
(पश्चिम), मुंबई विश्वविदयालय।
इस
अवसर पर जारी प्रेस विज्ञप्ति
शुक्रवार दि. 09 दिसंबर 2011 को सुबह 10 बजे से कल्याण पश्चिम स्थित के. एम. अग्रवाल कला, वाणिज्य एवम् विज्ञान महाविद्यालय में
विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग संपोषित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन सुनिश्चित हुआ है। संगोष्ठी का मुख्य विषय है ``हिन्दी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनायें।'' यह संगोष्ठी शनिवार 10 दिसंबर 2011 को सायं. 5.00 बजे तक चलेगी।
संगोष्ठी के उद्घाटन
सत्र में डॉ. विद्याबिन्दु सिंह - पूर्व निदेशिका
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ, श्री. रवि रतलामी - वरिष्ठ हिन्दी ब्लॉगर मध्यप्रदेश एवम् डॉ.
रामजी तिवारी - पूर्व अध्यक्ष हिंदी विभाग
मुंबई विद्यापीठ, मुंबई के
उपस्थित रहने की उम्मीद है। विशिष्ट अतिथि के
रूप में नवभारत टाईम्स, मुंबई
के मुख्य उपसंपादक श्री. राजमणि त्रिपाठी जी
भी उपस्थित रहेंगे। संगोष्ठी का उद्घाटन संस्था के सचिव श्री. विजय नारायण पंडित करेंगे। एवम् अध्यक्षता
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर. बी. सिंह करेंगे।
इस संगोष्ठी का `वेबकास्टिंग' के माध्यम से पूरी दुनिया में जीवंत प्रसारण (लाईव टेलीकॉस्ट) करने की
योजना है। इसकी जिम्मेदारी वरिष्ठ हिंदी
ब्लॉगर गिरीश बिल्लोरे - मध्यप्रदेश ने ली है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग संपोषित हिंदी ब्लागिंग पर आयोजित
होनेवाली यह देश की संभवत: पहली संगोष्ठी
होगी। इस संगोष्ठी में प्रस्तुत किए जानेवाले शोध-प्रबंधों को पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित करने की
योजना भी महाविद्यालय बना चुका है। हिंदी
ब्लागिंग पर प्रकाशित होनेवाली यह तीसरी पुस्तक होगी।
इस संगोष्ठी में संपूर्ण भारत से प्रतिभागी
आ रहे हैं। इनमें हिंदी के कई शीर्षस्थ
ब्लागर भी होंगे। जैसे कि - अविनाश वाचस्पति - दिल्ली, डॉ. हरीश अरोड़ा - दिल्ली, डॉ. अशोक मिश्रा - मेरठ, केवलराम - हिमाचल प्रदेश, रवीन्द्र प्रभात - लखनऊ, सिद्धार्थ त्रिपाठी - लखनऊ, शैलेष भारतवासी - कलकत्ता, मानव मिश्र - कानपुर, रवि रतलामी - मध्य प्रदेश, गिरीश बिल्लोरे - मध्य प्रदेश, आशीष मोहता - कलकत्ता, डॉ. अशोककुमार - पंजाब, श्रीमती अनीता कुमार - मुंबई, यूनुस खान - मुंबई, अनूप सेठी - मुंबई इत्यादि। वरिष्ठ साहित्यकार श्री. आलोक भट्टाचार्य जी भी
इस संगोष्ठी में सम्मिलित हो रहे है।
विभिन्न
महाविद्यालयों - विश्वविद्यालयों से जुड़े प्राध्यापक भी बड़ी संख्या में इस संगोष्ठी में शामिल हो
रहे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं - डॉ.
रामजी तिवारी - मुंबई, डॉ.
आर. पी. त्रिवेदी - मुंबई, डॉ.
प्रकाश मिश्र -
कल्याण, डॉ. एस. पी. दुबे - मुंबई, डॉ. सतीश पाण्डेय - मुंबई, डॉ. के. पी. सिंह - ऍटा, डॉ. एन्.एन्.राय-रायबरेली, डॉ. शमा खान- बुलंदशहर, डॉ. ईश्वर पवार-पुणे, डॉ. गाडे-सातारा, डॉ. शास्त्री - कर्नाटक, डॉ. परितोष मणि-मेरठ, डॉ. अनिल सिंह-मुंबई, डॉ. कमलिनी पाणिग्रही-भुवनेश्वर, डॉ. पवन अग्रवाल - लखनऊ, डॉ. मधु शुक्ला-इलाहाबाद, डॉ. पुष्पा सिंह-आसाम, डॉ. गणेश पवार-तिरूपति, विभव मिश्रा-मेलबर्न आस्ट्रेलिया, डॉ. सुरेश चंद्र शुक्ल-नार्वे, डॉ. शशि मिश्रा-मुंबई, डॉ. सुधा -दिल्ली, डॉ. विनीता-दिल्ली, डॉ. बलजीत श्रीवास्तव - बस्ती, डॉ. विजय अवस्थी-नाशिक, डॉ. संजीव दुबे-मुंबई, डॉ. वाचस्पति-आगरा, डॉ. संजीव श्रीवास्तव-मथुरा, डॉ. डी. के. मिश्रा - झाँसी इत्यादि।
दो-दिवसीय यह
राष्ट्रीय संगोष्ठी कुल 06 सत्रों
में विभाजित है। उद्घाटन सत्र एवम् समापन सत्र के अतिरिक्त चार चर्चा सत्र होंगे। पूरी संगोष्ठी का
संयोजन महाविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रभारी
डॉ. मनीष कुमार मिश्रा कर रहे हैं। चार चर्चा सत्रों के लिए चार सत्र संयोजक नियुक्त किये गये हैं।
क्रमश: डॉ. आर. बी. सिंह - उपप्राचार्य, अग्रवाल
कॉलेज, डॉ. (श्रीमती) रत्ना निम्बालकर -
उपप्राचार्य अग्रवाल महाविद्यालय, डॉ. वी. के. मिश्रा, वरिष्ठ प्राध्यापक एवम् सी.ए. महेश भिवंडीकर - वरिष्ठ प्राध्यापक - अग्रवाल
कॉलेज।
महाविद्यालय
की प्राचार्या डॉ.
अनिता मन्ना संगोष्ठी से जुड़ी सारी तैयारियों की व्यक्तिगत तौर पर देखरेख कर रही हैं।
इस संगोष्ठी की
मुख्य बाते निम्नलिखित हैं। 1) विश्व
विद्यालय अनुदान आयोग संपोषित यह हिंदी ब्लागिंग पर आयोजित संभवत: देश की पहली संगोष्ठी है। 2) पूरे दो दिन की संगोष्ठी का वेब
कास्टिंग के जरिये
इंटरनेटपर सीधा प्रसारण होगा। 3) इस
संगोष्ठी में प्रस्तुत किये जानेवाले
शोध आलेखों को पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जा रहा है। जो कि हिंदी ब्लॉगिंग पर प्रकाशित होनेवाली
देश की तीसरी पुस्तक होगी। 4) हिंदी ब्लॉगरो एवम् हिंदी प्राध्यापकों को एक
साथ राष्ट्रीय मंच प्रदान करने का यह
नूतन प्रयोग होगा। विवरण के लिए इमेज पर क्लिक कीजिएगा। अगर आपका नाम इसमें शामिल
नहीं है तो टिप्पणी में अवश्य शामिल कर दीजिए क्योंकि जब भागीदारों की सूची
बनाई जाएगी तो टिप्पणीदाताओं के नाम और चिट्ठाकारों के नाम भी सूची में शामिल किए
जाएंगे।
मन
से चिट्ठाकारिता के इस महासम्मेलन की सफलता की कामना कीजिए। यह तो अभी एक बानगी है। इस संबंध में संपूर्ण पुस्तक शीघ्र ही प्रकाशित होने वाली है।
nishay hi ek sarahniya kadam hai. Is aayojan ke liye shubhkmnayen.
जवाब देंहटाएंAakarshan
लिंक देने के लिए आभार और गोष्ठी की शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंजय हो !
जवाब देंहटाएंऔर हाँ , चिट्ठाकारी के लिए एक ज़रूरी चीज़ दिमाग भी है !
काश यह पोस्ट 15 दिनों पहले प्रकाशित होती!
जवाब देंहटाएंतो मन बनाया जा सकता था!
सफलता हेतु शुभकामनाएं!
आयोजन की सफ़लता के लिये हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंअविनाश जी ,हार्दिक बधाई .सफलता के लिए मेरी शुभ कामनाएं .
जवाब देंहटाएंआयोजन की सफलता के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंएक बहुत अच्छी जानकारी देने के लिए श्री अविनाश जी को धन्यवाद. कार्यक्रम की सफलता के लिए हमारी शुभ कामनाएं. कृपया ऑनलाइन कार्यक्रम के लिंक भेजने का कष्ट करे ताकि हम भी नेट से देख सके.
जवाब देंहटाएंचलिए भाई जी, इस संगोष्ठी में आपका साथ रहेगा.
जवाब देंहटाएंसंगोष्ठी की सूचना देने के लिए आभारी हैं। अगर तन से न पहुँच पाएँ तो क्या मन से अवश्य उपस्थित रहेंगे।
जवाब देंहटाएं-- हरिराम
काश यह पोस्ट 25 दिनों पहले प्रकाशित होती!
जवाब देंहटाएंतो मन बनाया जा सकता था!
सफलता हेतु शुभकामनाएं!
बहाने बनाना तो कोई शास्त्री जी और मिश्रा जी से सीखे।
जवाब देंहटाएंयूँ ही नहीं बहाने बनाता कोई कुछ तो मजबूरियाँ रही होगी, अविनाश जी शास्त्री जी और मिश्रा जी एकदम सही कह रहे है अचानक इतनी दूर का रेलवे रिजर्वेशन भी तो मिलना कठिन है। आप आज बता रहे है मैं भी जाना चाहता हूँ लेकिन बिना सीट आरक्षण कराये नहीं। अब यहाँ नहीं जाना है, अब तो आपसे साँपला में 24 वाली ब्लॉगर मीट में मिलेंगे।
जवाब देंहटाएंअविनाश जी आप को जान कर अच्छा लगेगा कि इस सेमिनार से एक दिन पहले एक दिवसीय सेमिनार लगभग इसी विषय पर मेरे कॉलेज में भी हो रहा है यहीं बम्बई में ही। फ़र्क बस इतना है कि मेरे कॉलेज में अंग्रेजी में हो रहा है। अगर आप बम्बई आठ तारीख को पहुंच रहे हैं तो जरूर आइयेगा मुझे खुशी होगी।
जवाब देंहटाएंबढ़िया...शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंढेरों ढेर शुभ व मंगल कामनाएँ
जवाब देंहटाएंअन्ना जी, जितने सारे प्राणीओ के नाम लिए हे उसमें से में नहीं हूँ, .......आपका तो मुजे पता नहीं....? डार्वीन के उत्क्रांतिवाद के नियम अनुसार आप कौन से स्टेज में हो , विकसित मानव या तो विकास सील मानव कि सज्ञॉ् में रख्खे आपको, शुशिल जी कि राय आवश्यक हे
जवाब देंहटाएंमुकेश जोशी जी की सलाह के अनुसार सुशील कुमार जोशी जी को चिट्ठासंसार की अदालत में हाजिर किया जाए।
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक... शुभकामनायें ....
जवाब देंहटाएंबेबाकी से है फरियाद
जवाब देंहटाएंबहुत बढि़या। ब्लॉगिंग के जरिये हिन्दी भाषा का खूब प्रचार प्रसार हो रहा है
जवाब देंहटाएंबहुत देर कर दी मेहरबां, बताते-बताते… :(
जवाब देंहटाएंavinash ji... maafi k sath kahunga ki ise maine kal hi padha tha... ek visheh aur utkrisht kadam... subhkaamnaayien meri aapke sath hai... kalyan door na hota to jarur shaamil hota... logon ke liye dilli bahut door hai aur mere liye dilli se kalyaan bahut door hai ;)
जवाब देंहटाएंमध्य प्रदेश में ब्लोग्गर्स मीट हो तो खबर कीजियेगा
जवाब देंहटाएंशादी करनी चाहिए या नहीं?
अन्ना जी आपकी अदालत भी भारत सरकार की अदालत जैसी हे , शुशिल कुमार जी, अदालत में हाजिर नहीं होंगे , लाल बत्ती मिलनेवाली हे उनकों,
जवाब देंहटाएंफिर हम अदालत सुशील कुमार जी के आदेशानुसार जहां कहें वहां पर आयोजित कर देंगे। अभी तो लौहपथगामिनी पर सवार हैं। जिसके घोड़े अपरंपार हैं। लेकिन फिर भी पार पाना किसके बस का है। एक घोड़ा भी फेसबुक पर बिदकता है तो सोचना पड़ता है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया, ऐसे आयोजन निश्चय ही हिन्दी चिट्ठाकारी को बढ़ावा देने में सहायक होंगे।
जवाब देंहटाएं