सिर चढकर बोलता आवाज का जादू

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  • ब्लॉ.ललित शर्मा
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  • धान की फ़सल पक गयी है, किसान फ़सल की कटाई कर रहे हैं। सड़क के किनारे भराही गाड़ा लगे हुए हैं। एक पेड़ के नीचे किसान पैरा डोरी बना रहा है काटे हुए धान के गट्ठर को बांधने के लिए। उसने पेड़ की डाली से रेड़ियो टांग रखा है। सुनता भी जा रहा है और साथ ही हाथ भी चल रहे हैं, डोरी भी बनते जा रही है। शहर से गाँवों की ओर जाते हुए बहुत कुछ बदल जाता है। यहाँ ड्राईंग रुम में हाथ में रिमोट लिए लोग दिखाई नहीं देते। हमने भी गाड़ी में रेड़ियो चालु कर लिया और उससे आवाज आई, "305.61 मीटर अर्थात 981 किलो हर्ट्ज पर ये आकाशवाणी रायपुर है, 11 बजे हैं प्रस्तुत है कार्यक्रम फ़ोन इन फ़रमाईश। प्रस्तुत कर्ता हैं दीपक हटवार।" अब शुरु हो जाता है फ़ोन इन कार्यक्रम, श्रोताओं के फ़ोन से उनकी फ़रमाईश पर सुरीले गीतों का कार्यक्रम सुनने लगते हैं।

    आकाशवाणी रायपुर से दीपक हटवार की गंभीर आवाज हवा में तैरते हुए हम तक पहुंचती है और हम उनके साथ जुड़ जाते हैं रेड़ियो कार्यक्रम के माध्यम से। हमारे जैसे लाखों श्रोताओं के घर सुबह का चिंतन लेकर दीपक हटवार पहुंचते हैं। आकाशवाणी रायपुर में 1990 से उनकी आवाज गूंज रही है। चिंतन के माध्यम से उनसे लोग रुहानी तौर पर जुड़े हैं। आवाज तो उनकी लाखों लोगों ने सुनी है, मगर देखा कुछ सैकड़ों ने है।आकाशवाणी रायपुर से खेल गतिविधियां, आज का चिंतन, फ़ोन इन कार्यक्रम, रंग तरंग, हास्य झलकी, नाटक एवं रुपक दीपक हटवार की आवाज में प्रसारित होते हैं। रेड़ियो के माध्यम से किसी कार्यक्रम को सुनने का आनंद ही अलग है। रेड़ियो उद्घोषक का श्रोताओं से सीधा संबंध होता है, श्रोताओं के पत्र उस तक पहुंचते हैं, अधिकतर पत्र कार्यक्रम की तारीफ़ के होते होगें तो एकाध लानत-मलानत के भी, क्योंकि सभी को संतुष्ट कर पाना संभव नहीं। किसी के पत्र कार्यक्रम शामिल नहीं होते होगें तो उनकी नाराजगी तो झेलनी ही पड़ेगी। -- आगे पढने के लिए चटका लगाएं।


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