जी हाँ ,अभी उनसे दोस्ती के जुमा जुमा चंद हफ्ते ही तो बीते हैं ...आदमी बहुत उखमजी किस्मके हैं ,डूब डूब कर पानी पिए हैं ....बहते पानी के साथ और न जाने कितनी नौकाओं में कितने लोगों के साथ सैर सफ़र कर चुके हैं ....उस क्षेत्र से हैं जहां से हिन्दी के कई उद्भट विद्वान राष्ट्र स्तर पर सुशोभित और समादृत हो चुके हैं ..विवरण वे खुद इस लेख में अपनी टिप्पणी में दें यह उनसे करबद्ध निवेदन है ...बशर्ते इस पोस्ट के बाद वे टिप्पणी करने की मनस्थिति में रह पायें...आगे यहाँ पढ़ें ! http://mishraarvind.blogspot.com/2011/11/blog-post.html
"अभी उनसे दोस्ती के जुमा जुमा चंद हफ्ते ही बीते हैं........"
Posted on by संतोष त्रिवेदी in
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