टीआरपी की संभावनाओं के बीच अण्णा के अनशन की धुंआधार कवरेज: निजी चैनलों पर सरकार एक बार फिर से लगाम कसने का मन बना रही है। इस मामले में दिलचस्प पहलू है कि इसके पहले सरकार ने जब भी इन चैनलों पर लगाम कसने की बात की तो उसमें सीधे तौर पर जनहित के सवाल जुड़े रहे लेकिन अबकी बार अन्ना हजारे अनशन को लेकर चैनलों ने जिस तरह से कवरेज दी,सरकार का पक्ष है कि वह तटस्थ होने के बजाय एकतरफा रही और उसमें सरकार की ओर से कही गयी बातों का या तो गलत संदर्भ दिया गया या फिर उसकी बातों की अनदेखी की गई। दूसरी तरफ अन्ना की टीम ने मंच से बार-बार मीडिया और इन निजी चैनलों का शुक्रिया अदा किया, अन्ना समर्थक तिहाड़ जेल से लेकर रामलीला मैंदान तक थैंक्यू टू ऑल मीडिया की अलग से तख्ती दिखाते नजर आए। इसका सीधा मतलब है कि जिस कवरेज को लेकर सरकार नाराज है,उसी कवरेज से अन्ना की टीम,समर्थक और अनशन में शामिल लोग संतुष्ट हैं जिसे कि भारतीय जनमानस की अभिव्यक्ति करार दिया जा रहा है।
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टीआरपी की संभावनाओं के बीच अण्णा के अनशन की धुंआधार कवरेज
Posted on by पुष्कर पुष्प in
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too keya hoga
जवाब देंहटाएंथैंक्यू टू ऑल मीडिया
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