जो नुक्‍कड़ समूह से लेखन की सदस्‍यता छोड़ना चाहते हैं, स्‍वयं बतला दें

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • क्‍या मालूम किसकी मर्जी कितनी है
    कौन चाहता है जुड़े रहना और लिखना
    कोई चाहता है जमे रहें बिना लिखें
    सूरतें दोनों ही अच्‍छी हैं

    पर न चाहते हैं लिखना
    न चाहते हैं बने रहना
    वे बेबाकी से कह जाएं

    3 टिप्‍पणियां:

    1. ओये होये क्या हो गया?
      आजकल पारा गरम हो रहा है
      मौसम तो नरम हो रहा है
      क्या बारिश का ना असर हो रहा है

      जवाब देंहटाएं
    2. 100 पर फ़िर मामला अटक गया लगता है, गुगल से बोल कर लेखक संख्या बढवाईए :)

      जवाब देंहटाएं
    3. ललित भाई गूगल कोई गल नहीं करता है।

      जवाब देंहटाएं

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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