जनगणना कराना सरकार का धर्म है

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • सरकार का मानना है कि जन वही, जिसमें जान हो और सबसे अधिक जान जानवरों में होती है,जानवर सबसे जानदार शब्‍द है। उनकी जान के आगे इंसान की भला क्‍या बिसात ? मिसाल के तौर पर जान लीजिए कि घोड़े की शक्ति को पैमाना माना गया है। वो तो इंसान को अपने हाथों पर पूरा भरोसा नहीं है, दिमाग पर है, इसलिए उसने हथियार बना लिए, वरना समूची धरा पर शक्तिशाली जानवरों ने इंसानों को धराशायी कर दिया होता। इंसान लुका-छिपा गुफाओं मेंनदी-नालों में रहने को विवश होता। यह विचार आते ही उन सबको भय की अनुभूति होने लगी होगी, जो डरते हैंदूसरों की जान से उन्‍हें सिर्फ इतना सरोकार होता है कि उनके न होने से किसी काम में बाधाआ जाएगी।इसलिए धन सर्वोपरि, रिश्‍ते-नाते-अपनापे उसके बाद।
    सरकार चाहे भी कि किसी को जनगणना में शुमार न करा जाए तो, जिनको नहीं गिनना चाहती हैवे दांत किटकिटाने लगते हैं। मानो निरीह सरकार को अपने दांतों के बीच में कुचल डालेंगे जबकि वे अपने ही ओंठ निजदांतों से काट हंसी उड़वाते हैं। गणना उनकी  .... पूरा पढ़ने और टिप्‍पणीगणना में शामिलना होने के लिए क्लिक कीजिएगा
     
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