पीपी ने बढ़ाया बीपी, आओ चलें सीपी

पीपनी बच्‍चों को बहुत प्‍यारी लगती है। देखने में पकड़कर बजाने में उसका कोई जवाब नहीं। उसे छूने में भी बच्‍चों को मजा आता है। पीपनी की आवाज बच्‍चों को ही नहीं, बड़ों को भी मस्‍त कर देती है। वही पीपनी आज क्रिकेट की तरन्‍नुम में झूम रही है और विश्‍वभर के क्रिकेट प्रेमियों को मस्‍त कर रही है। क्रिकेट का विश्‍व कप अभी जीता भी नहीं था कि पीपी यानी पूनम पांडेय ने सभी क्रिकेट उन्‍मादियों के लिए पीपनी का मादक स्‍वर छेड़ दिया। सभी उसी में मस्‍त हो गए। सबकी आंखों में गुलाबी डोरे तैर गए।
सबको यह उम्‍मीद थी कि पीपी ने विजयी खिलाडि़यों के सम्‍मान में न्‍यूड होने का जो फरमान जारी किया है, उसे वह अमल में जरूर लाएगी। इस घोषणा से सबका बढ़ा बीपी आज तक भी नीचे नहीं उतरा। विश्‍व क्रिकेट कप भारत को मिल गया परंतु पीपी ने कहा कि उसे न्‍यूड होने की परमीशन नहीं मिली। उसने भरोसा दिलाया है, उसकी इन्‍हीं मीठी बातों में मस्‍ती भी है पर उस मस्‍ती की पाठशाला ने शुगरधारकों की शुगर बढ़ा दी है। आखिर मीठी बातें भी तो देह में मीठापन बढ़ाती ही हैं।  
अचंभे की बात तो यह है कि वो न्‍यूज में बराबर बनी हुई है पर न्‍यूड नहीं हो रही है। जिसके कारण विशेष हैं, परंतु देखने वाले शेष हैं, प्रतीक्षा में हैं। कितनों ने तो तब से आज तक पलकें नहीं झपकाई हैं कि कहीं पलक झपकी और उसे ताड़ने के लक से हाथ धो बैठे। आजकल संचार के इस युग में इतना जोखिम सब क्‍यों ले रहे हैं, यह भी तो समझ नहीं आ रहा है। जबकि पोर्नो साइटों से साइबर संसार भरा पूरा है। पर सीधे आंखों से जो नहीं देखा, वो तो अधूरा है।  

पीपी की विशिष्‍ट पहचान अब विश्‍व कप में धमाल मचाने के तौर पर दर्ज हो चुकी है। पूनम के चांद की तरह उसने क्रिकेट के चांद को असीम ऊर्जा प्रदान की है। वो पूनम है पर नम नहीं है। उसे पहचान कर बहुत सारे लोग नम हो गए हैं। वे उसको नमन करने के लिए लालायित हैं परंतु वो परमीशन मांग रही है। पीपी की चाहना है कि जुटी रहे पर लुटे नहीं। वो न तो क्रिकेट प्रेमियों से परमीशन मांगेगी, क्‍योंकि वे तो बिना परमीशन ही चौकस हैं पूनम के देहजाहिर मिशन को सक्‍सेस स्‍टोरी उन उन्‍मादियों ने बनाया है। पूनम की घोषणा के बाद वे कल्‍पना के घोड़े नहीं, ऊंट, तोते उड़ा रहे थे।
भारतवासी एक संस्‍कृति प्रधान देश के बाशिन्‍दे हैं। ऐसे नहीं कि विवाह करने के लिए निर्वस्‍त्र होकर चर्च पहुंच जाएं, आपने खबर पढ़ ही ली होगी। आपको पता लगता तो आप सब भी वहीं पहुंच जाते। पर भारत में ऐसा करने का रिवाज नहीं हैइसलिए सबकी आंखें माकूल मौकों की तलाश में लगी रहती हैं।
पीपी को सभी देशी-विदेशी क्रिकेटप्रेमी पहचान गए हैं और उन्‍हें भीतर तक जानने की उत्‍कंठा मन में दबाए हैं। वे जो कभी पीएम से मिलने और पीएम बनने की चाहत रखते थे, उनकी चाहतों का गियर भी बदल गया है। इसी बीच एक अफवाह उड़ी थी कि पीपी दिल्‍ली के सीपी में देहदर्शन कार्यक्रम संपन्‍न करेगी। पूरे सीपी में जवानी आ गई थी, परंतु खबर विश्‍वस्‍त नहीं थी, इसलिए जल्‍दी ही भीड़ छंट भी गई।
विश्‍व कप की विजय का श्रेय पीपी को जाता हैचाहे कोई भी कितनी भी पीपनी बजाता रहे। पीपी ने पब्लिकली पब्लिक कीजो पीपनी बजाई हैउसी ने विरोधी टीम को भी हारने के लिए मानसिक तौर पर तैयार किया है। यह सच्‍चाई अब किसी से छिपी नहीं है।   पीपी का टोटका टटका नहीं हैखूब जोर का झटका है, झटका यह कहीं नहीं अटकासबको भटका गया और विश्‍व कप भारत को दिला गया।  कहीं आप भी तो पीपी के इंतजार में सब काम-धाम छोड़कर, अभी तक बेनहाये टी.वी. के सामने धूनी रमाए तो नहीं बैठे हैं, अगर बैठे हैं तो आप साधु नहीं, स्‍वादु हैं।
आज दैनिक जनवाणी में प्रकाशित।

4 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार लिखा है आपने. बधाई स्वीकार करें
    मेरे ब्लॉग पर आयें और अपनी कीमती राय देकर उत्साह बढ़ाएं
    समझ सको तो समझो : अल्लाह वालो, राम वालो

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  2. पीपी लाईव होती जा रही है पीपली लाईव...

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  3. वाह, बहुत बढ़िया आलेख !

    कार्टून का तो जवाब ही नहीं !!

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