आप हुरियारे हैं या हत्यारे!

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  • संजीव शर्मा/Sanjeev Sharma
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  • आप होली की अलमस्ती में डूबने वाले हुरियारे हैं या फिर हत्यारे,यह सवाल सुनकर चौंक गए न?दरअसल सवाल भी आपको चौकाने या कहिये आपकी गलतियों का अहसास दिलाने के लिए ही किया गया है.त्योहारों के नाम पर हम बहुत कुछ ऐसा करते हैं जो नहीं करना चाहिए और फिर होली तो है ही आज़ादी,स्वछंदता और उपद्रव को परंपरा के नाम पर अंजाम देने का पर्व.होली पर मस्ती में डूबे लोग बस बुरा न मानो होली है कहकर अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं पर वे ये नहीं सोचते कि उनका त्यौहार का यह उत्साह देश,समाज और प्रकृति पर कितना भारी पड़ रहा है.सालदर-साल हम बेखौफ़,बिना किसी शर्मिन्दिगी और गैर जिम्मेदाराना रवैये के साथ यही करते आ रहे हैं.हमें अहसास भी नहीं है कि हम अपनी मस्ती और परम्पराओं को गलत परिभाषित करने के नाम पर कितना कुछ गवां चुके हैं?..अगर अभी
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