नेताओं की इच्छा मृत्यु का अधिकार वोटर के पास होना चाहिए। इसी प्रकार अफसरों की मर्जी से मौत पर कर्मचारी का हक हो। इससे सबसे पहले तो भ्रष्टाचार, घूस इत्यादि खुदबखुद अपनी बिना मांगे मौत को प्राप्त होंगे। जब भ्रष्टाचार नहीं होगा तो काले धन की समस्या नहीं होगी, फिर बाबा रामदेव भी सत्ता में आने की नहीं सोचेंगे, वे प्राणायाम और योग का एकाग्र होकर समुचित प्रचार-प्रसार कर सकेंगे। अभी तो योग के साथ काले धन और समाज में भ्रष्टाचार की समस्या बाबा रामदेव को बेशर्मी से मुंह चिढ़ा रही है। अगर नेता और अफसर को डर हो कि उसकी जान वोटर महान और कर्मचारी के कब्जे में है, तो वो किसलिए गलत काम कुछ मज़ा आ रहा हो तो पूरे मज़े लेने के लिए यहां पर क्लिक करें और आप टिप्पणी करेंगे तो मुझे भी मज़ा आयेगा
मरने से पहले विमर्श कर लें
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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इच्छा मृत्यु,
व्यंग्य
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