मैं:-“सर,इस नाचीज़ को गिरीश बिल्लोरे कहतें हैं”
वे:-“हर चीज़ में ना लगाना ज़रूरी है क्या ?”
गोया, हज़ूर हमें हमें पहचान गये कि हम कोई “चीज़ हैं” हमने इस सवाल का ज़वाब न देते हुए कहा - आपका वेबकास्ट इंटरव्यू लेना चाहता हूं..!
वे:-“आप प्रश्नावली भेज दें में वीडियो भेज दूंगा ”
मैं:- :-“हज़ूर,आपका वीडियो मेरे प्रसारण के लिये उपयुक्त नहीं यह लाईव ही रेकार्ड होता है ”
मेरे हज़ूर,सर आदि संबोधन से गोया वे इतने प्रभावित हो गये कि बोलने लगे:- “मेरे पास समय नहीं है ” साहित्य के सुशील की सच्ची कहानी जानने के लिए क्लिक कीजिए और जो कहना चाहें, वही लिखिए