शील का भंडार मैं सुशील कुमार : हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग को बंद करवा दूंगा

तुम्‍हारे शब्‍दों से अलग







भाई सुशील कुमार जी ने लंगोट कस कर एक पोस्ट से इस दंगल की शुरुआत की है...साहित्यकारों के सामने ब्लागरों को तुच्छ जीव साबित करने में सुशील जी ने कोई कसर नहीं छोड़ी...इधर ये पोस्ट टाइप कर ही रहा था कि सामने टीवी पर आ रहे कामेडी सर्कस पर नज़र पड़ गई...इसमें रऊफ़ लाला बता रहे हैं कि उन्होंने एक पठान को शेखर सुमन के बड़ा कलाकार होने के बारे में समझाना शुरू किया...इस पर पठान का जवाब था...ओेए कितना बड़ा कलाकार है, क्या पैरों में बारह नंबर का जूता पहनता है...कितना बड़ा कलाकार है, क्या छत पर लगे पंखे बिना स्टूल पर चढ़े खुद उतारता है...कितना बड़ा कलाकार है, क्या दुबई जाकर ऊंट की ज़मीन पर खड़े खड़े चुम्मी ले लेता है...अब ऐसे में वही पठान पूछने लगे कि ओए कितना बड़ा साहित्यकार है...तो क्या जवाब देंगे...

सुशील जी की साहित्य ही श्रेष्ठ की ग्रंथि से मुझे लखनऊ के एक नवाब साहब का किस्सा क्लिक करेंगे तो पढ़़ पायेंगे पर कैसा लगा है यह वहीं बतला कर आइयेगा क्‍योंकि सुशील कुमार जी आज पूरे दिन वहीं पर घूमते नजर आयेंगे


 
Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz