अंधी और बहरी सरकार के साथ नख-शिख विहीन विपक्ष

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  • सुनील वाणी
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    पता नहीं ये राजनीति लोगों को और क्या-क्या दिखाएगी। नित नए हो रहे आश्चर्यजनक खुलासों से आम आदमी दांतों तले अंगुलिया दबाने को मजबूर है। जनता अब यह सोचने को मजबूर है क्या यह वही सरकार है जिसे इतने विश्वास के साथ हमने चुना था। घोटालों और भ्रष्टाचार के नाम पर देश नए आयाम को छूने जा रहा है। हमारा देश तो अब इस मामले में नया इतिहास लिखने को तैयार है और इस बात की भी गुंजाइश है कि छात्रों को पुराने इतिहास की बजाय इस ताजातरीन इतिहास से अवगत कराया जाय। सरकार को जिस विश्वास के साथ जनता ने गद्दी सौंपी थी, वह देशाभिषेक के साथ ही धृतराष्ट्र हो गई। इतना ही नहीं इस धृतराष्ट्र ने तो अपने कान भी बंद कर लिए हैं। यानि यह सरकार अपने हाथों और पंजों का सही इस्तेमाल कर रही है। सबसे मजेदार बात यह है कि इस सरकार के साथ-साथ विपक्षी दलों की खासियत भी जग जाहिर होने लगी है। अंधी और बहरी सरकार के साथ जनता को गूंगे और ताकतविहीन विपक्ष का तोहफा मिला है। इसकी आवाज सरकार के नक्कारखाने में तूती बनकर रह गई है। जाहिर सी बात है कि विपक्ष की इस कमजोरी ने ही सरकार और उसके मंत्रियों के हौसले इतने बुलंद कर दिए है कि घोटाला करने का एक भी मौका नहीं छोडते। इस मामले में ये नई इबारत लिख रहे हैं। महंगाई ने किचन से अन्न गायब कर दिया और घोटालों ने देश से रुपया। यानी अब महमूद गजनवी अब अपने देश में ही पैदा हो रहे हैं तो दूसरे गजनवी को पढने की जरूरत क्या है। किसी समय बच्चों को सुनाई जाने वाली अंधेर नगरी चौपट राजा की कहानी भी बेमानी हो गई है। उस कहानी में टके सेर मिलने वाली भाजी और खाजा अब सोने की कीमतों से मुकाबला कर रहा है।

    4 टिप्‍पणियां:

    1. सरकार में बैठे दल और इस सरकार में पहुँच कर सत्ता का उपभोग करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति और दल सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं।

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    2. अब महमूद गजनवी अब अपने देश में ही पैदा हो रहे हैं तो दूसरे गजनवी को पढने की जरूरत क्या है ?

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    3. हमारी वाणी के ज़रिये आप के लेख तक पहुंचा .

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    4. अमल से बनती है जन्नत भी जहन्नम भी
      ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है

      http://vedquran.blogspot.com/2011/01/same-principle.html

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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