व्‍यंग्‍यकार के स्‍वर में सुनिए सोपानस्‍टेप के दिसम्‍बर अंक में प्रकाशित व्‍यंग्‍य : गोरी तेरा गांव बड़ा प्‍यारा, मैं तो गया मारा, आ के यहां रे ....

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  • अविनाश वाचस्पति
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    4 टिप्‍पणियां:

    1. हूं.... प्रयोग तो सही है पर परिजनों की आवाजें दरवाजा खुलने की चूं नहीं आनी चाहिए थी। रात के सन्‍नाटे में रिकार्ड करना था।

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    2. पहला प्रयास है पवन जी
      दूसरे में नहीं रहेगी शिकायत जी।

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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