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व्यंग्यकार के स्वर में सुनिए सोपानस्टेप के दिसम्बर अंक में प्रकाशित व्यंग्य : गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा, मैं तो गया मारा, आ के यहां रे ....
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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पढ़ने की जरूरत नहीं है अब
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हूं.... प्रयोग तो सही है पर परिजनों की आवाजें दरवाजा खुलने की चूं नहीं आनी चाहिए थी। रात के सन्नाटे में रिकार्ड करना था।
जवाब देंहटाएंI enjoyed listening .
जवाब देंहटाएंThanks.
पहला प्रयास है पवन जी
जवाब देंहटाएंदूसरे में नहीं रहेगी शिकायत जी।
वधिया लगा जी.
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