क्या आप सबको पहचानते हैं ?
पहले सिर्फ हमाम में हुआ करते थे
अब हमाम नहीं हैं इसलिए
समाज में चले आए हैं।
इस समाज में सब नंगे हैं
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अविनाश वाचस्पति,
नंगे,
व्यंग्य,
समाज,
हमाम
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