पगडी का वजन 60 किलोग्राम और लंबाई 750 मीटर।
सिर्फ इसी चीज को मत देखिये, संकल्प भी देखिये, महानुभाव ज्यादातर गाडी में ही रहते हैं या फिर चलते रहते हैं, अगर इनको लेटना पड जाये तो 2-3 आदमी चाहिए, उठने में मदद के लिए। सही कहते हैं कि अगर अपने ऊपर विश्वास है, तो कुछ भी किया जा सकता है।
यह फोटो कपालमोचन जिला यमुनानगर (हरियाणा) में होने वाले वार्षिक मेला कपालमोचन में लाखों की संख्या में जुटने वाले श्रद्धालुओं और संतों के क्रम में है।
गज़ब है ।
जवाब देंहटाएंKmaal hai.... sunder post
जवाब देंहटाएंगजब ... क्या चित्र-क्या जानकारी. वाह.
जवाब देंहटाएंletna pad jaye se kya matlab hai. sote bhee baithe baithe hain kya ?
जवाब देंहटाएंजी श्रीमान जी,
जवाब देंहटाएंज्यादातर बैठे बैठे ही साते हैं ये जनाब। अपनी गर्दन को कार में ऐसे फिट करके रखते हैं कि गर्दन में और कमर में लचक ना पड़े। बड़ी हिम्म्त है इनकी, आस्था है इनकी और विश्वास है इनका कि ये ऐसा कर सकते हैं।
एक चीज और है इनके बारे में कि इनकी पगड़ी गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड सहित अनेकों रिकार्डों में दर्ज है। वास्तविकता मंे यह पंजाब कें रहने वाले हैं लेकिन आज से 20 साल पहले बिलासपुर के मछरौली गांव में बस गये थे।
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