'' पिताजी बचपन में डंडे से पिटाई किया करते थे। उस वक्त बड़ा बुरा लगता था, अब समझ में आ रहा है कि ज़रूर हम भी उन दिनों ‘शरद पंवार’ जैसी हरकतें करते रहे होंगे। ''
हरिभूमि में प्रकाशित मेरा व्यंग्य पढ़े - डंडे के डर से गेहूँ का बँटना
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
हरिभूमि में प्रकाशित व्यंग्य डंडे के डर से गेहूँ का बँटना
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