नशा
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स्टेशन पर भीड़ थी ! लोग बहुत बेसब्री से ट्रेन के आने का इंतज़ार कर रहे थे ! ट्रेन के लेट होने से खोमचे वालों की खूब बिक्री हो रही थी ! अचानक एक धम्म की आवाज़ हुई ! सबने चौंक कर आवाज़ की तरफ देखा ! एक नाटे कद का अधेड़ उम्र का व्यक्ति प्लेटफॉर्म पर गिरा पड़ा था ! देखते ही देखते उस बेहोश पड़े आदमी के चारों तरफ भीड़ जुट गई ! एक चिल्लाया, 'अरे, दूर हटो,हवा आने दो!'..दूसरी आवाज़ आई, 'अरे, पानी लाओ, पानी!' पास ही बेंच पर बैठी एक युवती ने अपने पास से पानी की एक बोतल तुरंत निकल कर कर दी !ऐसा कर के उसने यह जता दिया कि उस आदमी के चारों तरफ इकठ्ठा हुई भीड़ की तरह उसे भी पूरी हमदर्दी है, चाहे वह भीड़ में शामिल न हो कर बेंच पर बैठी है !
एक आदमी उस बुज़ुर्ग के सीने पर हथेलियों से पम्प करने लगा! उसे लगा कि कहीं यह दिल का मामला न हो! एक व्यक्ति तत्परता दिखता हुआ मुंह पर छींटें मारने लगा! ...एक ही पल में लगा कि इंसानियत अभी मरी नहीं है! जिंदगी कि भागदौड ने बेशक आदमी को बाहर से कठोर कर दिया है लेकिन उसके दिल में प्यार और हमदर्दी का सोता अभी सूखा नहीं है !
इतने में वो बाहोश पड़ा आदमी हिला व उठने को तत्पर हुआ !लोगों ने राहत की सांस ली ! फ़ौरन बेंच खाली करवाई गई, ताकि वो बुज़ुर्ग उस पर बैठ सके!... अब तक वो व्यक्ति खड़ा हो चुका था! वह हाथ जोड़ कर लोगों का शुक्रिया करने लगा ! उसकी भाव भंगिमा देख कर लोगों ने ठहाका लगाया , 'अरे भाई , ये तो पिए हुए है ! हम तो कुछ और ही समझे थे!...वो व्यक्ति नशे में चूर लहराता हुआ अस्फुट से स्वर में धन्यवाद करता हुआ आगे बढ़ने लगा !
अब तक जिसके लिए भीड़ में सहानुभूति थी , नशे ने उसे एक ही पल में मजाक का विषय बना दिया था .....!
द्वारा -नमिता राकेश
namita.rakesh@gmail.com
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शराब के नसे का बहुत बढ़िया और हास्यास्पद प्रस्तुति,थोड़े सब्दो में,बहुत सठिक लगा. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंशराबी भी तो हम जेसा ही आदमी है, अगर उसे कुछ होता तो क्या यह लोग उस की मदद ना करते?
जवाब देंहटाएंग्राम चौपाल में तकनीकी सुधार की वजह से आप नहीं पहुँच पा रहें है.असुविधा के खेद प्रकट करता हूँ .आपसे क्षमा प्रार्थी हूँ .वैसे भी आज पर्युषण पर्व का शुभारम्भ हुआ है ,इस नाते भी पिछले 365 दिनों में जाने-अनजाने में हुई किसी भूल या गलती से यदि आपकी भावना को ठेस पंहुचीं हो तो कृपा-पूर्वक क्षमा करने का कष्ट करेंगें .आभार
जवाब देंहटाएंक्षमा वीरस्य भूषणं .
काम शब्दों में अच्छी बात कही।
जवाब देंहटाएंएक बड़ी सीख दे रही है यह लघुकथा
कम शब्दों में गहरी बात कही है....
जवाब देंहटाएंअच्छी है यह लघुकथा !!!!
क्या बात है
जवाब देंहटाएंअच्छी है यह लघुकथा
इंसानियत तो अभी बाकी है ...पर गलत आदतों कि वजह से इंसान इंसान पर से विश्वास खो देता है ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया लेख है ...
जवाब देंहटाएंमुस्कुराना चाहते है तो यहाँ आये :-
(क्या आपने भी कभी ऐसा प्रेमपत्र लिखा है ..)
(क्या आप के कंप्यूटर में भी ये खराबी है .... )
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com
एक गलत आदत इन्सान लोगो की नज़र में शर्मशार कर देती है, जिससे वो मजाक का विषय ,या तो नुक्ताचीनी बन जाता है , अच्छी सन्देश से भरी ये लघु कथा शुक्रिया इसे पेश करने के लिए.....
जवाब देंहटाएंऐसा भी होता है मगर इतना तो पता चला कि अभी इंसानियत मरी नहीं।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया नमिता जी।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लघुकथा
जवाब देंहटाएंएक सार्थक लघुकथा लगी ये.. कुछ बोध कराती सी. मेरी कोशिश रहेगी कि आगे की लघुकथाएं इसी तरह की बनाऊं.. आभार..
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