हिन्दी यूएनओ की भाषा बने - अनिरूद्ध जगन्नाथ (राष्ट्रपति, मारीशस)

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • रायपुरमारीशस के राष्ट्रपति श्री अनिरूद्ध जगन्नाथ ने कहा कि छत्तीसगढ़, भारत की साहित्यिक संस्था सृजन सम्मान द्वारा विश्वभर में हिन्दी के प्रचार-प्रसार, साहित्यकारों का सम्मान एवं हिन्दी की जो सेवा की जा रही है वह प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषाओं में सम्मिलित करने का प्रयास करना अच्छी बात है। यह विचार उन्होंने भारत के छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक संस्था सृजन सम्मान द्वारा आयोजित साहित्यिक भ्रमण के अंतर्गत संस्था के राष्ट्रीय महासचिव एवं यात्रा संयोजक द्वय जयप्रकाश मानस एवं एच.एस.टाकुर के नेतृत्व में मारीशस पहुँचे यात्रा समूह के सदस्यों के साथ आयोजित एक बैठक में व्यक्त किए। उन्होंने संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मारीशस की अर्थव्यवस्था एवं उपलब्ध सुविधाओं के बारे में भी सदस्यों से बातचीत की। इस अवसर पर मारीशस की प्रथम महिला श्रीमती सरोजनी जगन्नाथ विशेष रूप से उपस्थित थी।

    तृतीय अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन बाली (इंडोनेशिया) में
    बैठक के आरंभ में जयप्रकाश मानस ने पुस्तकें भेंटकर राष्ट्रपति का स्वागत किया। अपने स्वागत उद्बोधन में मानस ने व्यस्तता के बावजूद भारतीय साहित्यकारों के दल को समय देने के लिए राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए संस्था के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्था के माध्यम से मारीशस में द्वितीय हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया गया। गतवर्ष पहला अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन थाईलैंड में किया गया था । हिन्दी दिवस के अवसर पर मारीशस के 7 वरिष्ठ साहित्यकारों का सम्मान भी किया गया। उन्होंने राष्ट्रपति को अवगत कराया कि भविष्य में हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषाओं में सम्मिलित किए जाने का प्रयास जारी है और इस सिलसिले में अगले साल इंडोनेशिया (बाली) में तृतीय अंतरराष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन करने का निर्णय लिया गया है।
    राष्ट्रपति भवन में साहित्यकारों का दल
    इस अवसर पर छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का एक पत्र एवं बस्तर के कलाकारों द्वारा निर्मित धातु शिल्प भी राष्ट्रपति को सौंपा गया। इसके अलावा अनेक साहित्यकारों ने अपनी पुस्तकें तथा फ़िलाटेलिक सोसायटी ऑफ इंडिया की छत्तीसगढ़ इकाई की ओर से भारत के साहित्यकारों एवं अगले माह आयोजित होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों पर केन्द्रित भारतीय डाक टिकटों के दो एलबम भेंट किए गए। तत्पश्चात राष्ट्रपति के साथ सदस्यों का एक फ़ोटो सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें प्रथम महिला एवं बड़ी संख्या में मारीशस के शिक्षाविद एवं साहित्यकार भी सम्मिलित थे। राष्ट्रपति भवन की ओर से सदस्यों के लिए स्वल्पाहार का आयोजन भी किया गया था।

    उल्लेखनीय है कि साहित्यिक संस्था सृजन सम्मान द्वारा संस्था के महासचिव जयप्रकाश मानस के नेतृत्व में विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर 10 से 18 सितम्बर तक मारीशस का साहित्यिक, सांस्कृतिक पर्यटन अध्ययन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर के 61 सदस्यों ने भाग लिया।
    हिन्दी का संसार एवं संसार की हिन्दी विषय पर संगोष्ठी
    भ्रमण के दौरान मारीशस सरकार द्वारा गठित सांस्कृतिक प्रतिष्ठान हिन्दी स्पीकिंग यूनियन द्वारा हिन्दी दिवस पर हिन्दी का संसार एवं संसार की हिन्दी विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि थे हिन्दी के वरिष्ठ उपन्यासकार अभिमन्यु अनत और अध्यक्षता की जयप्रकाश मानस ने । द्वितीय सत्र में कृतियों का विमोचन एवं मॉरीशस के साहित्यकारों का अंलकरण कार्यक्रम आयोजित था । इस सत्र के मुख्य अतिथि थे - मारीशस के संस्कृति एवं कला मंत्री श्री मुखेश्वर शोन्नी ।

    मॉरीशस के 7 साहित्यकारों को सृजनश्री अंलकरण
    इस अवसर पर सृजन-सम्मान द्वारा वहाँ के वरिष्ठ 7 साहित्यकारों को सृजन-श्री अंलकरण से अलंकृत किया गया । सम्मानित साहित्यकारों को शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मान किया गया। जिसमें उपन्यास के लिए मारीशस के श्री अभिमन्यु अनत, कहानी के लिए प्रकारेश धुरंधर, नाटक के लिए महेश राम जीयावन, कविता के लिए पूजा नंद नेमा, महिला विमर्श के लिए भानुमति नागदान, हिन्दी सेवा के लिए स्व.मुनेश्वर लाल चिन्तामणी के अलावा महात्मा गांधी संस्थान के वरिष्ठ व्याख्याता एवं कार्यक्रम के संयोजक विनय गोदारी को सृजन श्री सम्मान से विभूषित किया गया। संगोष्ठी में भारत से मारीशस पहुँचे अनेक साहित्यकारों की पुस्तकों, पत्रिकाओं एवं गीतों के कैसेटों का विमोचन भी किया गया। इसके अलावा सदस्यों ने महात्मा गांधी संस्थान का भ्रमण किया। संस्थान के विभागाध्यक्ष एवं अन्य प्राध्यापकों ने प्रतिष्ठान की गतिविधियों की जानकारी दी। साथ ही प्रतिष्ठान द्वारा संचालित हिन्दी प्रचार अभियान के अंतर्गत नुक्कड़ नाटक का अवलोकन किया।


    इस सांस्कृतिक अध्ययन दल में यात्रा संयोजक जयप्रकाश मानस एवं एच.एस.ठाकुर सहित छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग के संचालक राजीव श्रीवास्तव, राम पटवा, डॉ.सुधीर शर्मा, डॉ.जे.आर.सोनी, डॉ.महेन्द्र ठाकुर, दीपक पाचपोर, सुरेश तिवारी, चेतन भारती, संजीव ठाकुर, डॉ.निरुपमा शर्मा, डॉ.सीमा श्रीवास्तव, लतिका भावे, शकुन्तला तरार, अरूणा चौहान,अरविन्द मिश्रा, कुमेश कुमार जैन, नागेन्द्र दुबे, टामन सिंह सोनवानी, श्रीमती पदमनी सिंह, अभिषेक सोनवानी, ललित गणवीर, श्रीमती गणवीर, जी.एस.बाम्बरा, श्रीमती आर.बाम्बरा, प्रतापचंद पारख, सत्यपाल,  श्रीकांत अग्रवाल, रमाकांत अग्रवाल, बिलासपुर के राजेश सोन्थलिया, रायगढ़ के सत्यदेव शर्मा, संजय तिवारी, उसत राम, भीखलाल पटेल,  सुरेश पंडा, सुरेश छत्री, श्रीमती क्षत्री, अर्जुन दास, देवानी,  एम.आर.ठाकुर, समुन्द सिंह, मिश्री लाल पाण्डे, राजेश तिवारी, सरायपाली के मीनकेतन दास, नागपुर महाराष्ट्र के भाषाविद डॉ.रामप्रकाश सक्सेना, हनुमन्त ठाकरे, नागेन्द्र अन्नाराव, रामदेव खुशहाल राव, बंडोपाद्ये यशवंत, नरेन्द्र दंडारे, उत्तराखण्ड नैनीताल के दिवाकर भट्ट, मध्यप्रदेश भोपाल के  डी.पी.सक्सेना, मधु सक्सेना, प्रकाशचंद तापड़े, अरूणा तापड़े एवं सृजन-सम्मान के यात्रा-पार्टनर क्रियेटिव ट्रेव्हलर्स के प्रमुख विकास मल्होत्रा आदि सम्मिलित थे।
    (मारीशस से लौटकर हीरामन सिंह ठाकुर)

    5 टिप्‍पणियां:

    1. सही बात है. मारिशस के लोगों के अन्दर कुछ तो निष्ठा है...

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    2. Beshak.Aise aayojan hi Hini ko uska sahi sthan dilane me ek meel ka paththar saabit hongen.Sh.J.P.Manas or Sh.H.S.Thakur ko bdhai.
      Namita Rakesh

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    3. सही है जब तक किसी काम पर विदेशी ठप्पा न लगे तब तक तो वह भारतीयों को समझ में ही नहीं आता है। चलो भाई अब तो मारीशस भी हिन्दी को महत्व दे रहा है तो फिर अब तो भारतीयों को हिन्दी को समझना चाहिए। आज भी बहुत से लोग इस इंतज़ार में हैं कि जब तक अमेरिका रिकमण्ड नहीं करेगा या हिन्दी की मार्केटिंग नहीं करेगा तब तक हम हिन्दी को नहीं समझेंगे। ठीक है धीरे-धीरे वह भी रिकमण्ड और मार्केटिंग कर देगा। धैर्य रखना होगा। आपका प्रयास अच्छा है। अमेरिका से भी रिकमण्ड करा दीजिए।

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