ये पुस्तक आजाद हिंद फौज की रानी झाँसी रेजिमेंट लेफ्टिनेंट मानवती आर्या की पुस्तक है - "नो डैथ नो एयर क्रेश " इस पुस्तक में नेताजी के गुमनामी का रहस्य उजागर किया गया है.
:"सुभाषचंद्र बोस के जीवन से जुड़ी विमान दुर्घटना जापानियों की मदद से नेताजी द्वारा ही तैयार एक नाटक था, क्योंकि तात्कालिक राजनैतिक कारणों से नेता जी को सोवियत संघ में शरण लेनी पड़ रही थी. बाद में गुमनामी बाबा की मृत्यु कि बाद मिले प्रमाण संकेत करते हैं कि वह नेता जी ही हो सकते हैं. "
शायद ये हमारा दुर्भाग्य है कि आजादी के इस वीर सिपाही को अपनी ही आजाद देश में गुमनामी बाबा के नाम से शेष जीवन व्यतीत करना पड़ा. ये प्रश्न कई बार उठा कि सुभाष जीवित हैं लेकिन न हमारी सरकार ने उनको खोजने कि कोशिश की और न ही जानने की. ऐसा सिपाही जिसने अपने शेष जीवन को देश की आजादी के नाम पर कुर्बान कर दिया. मालाएं वे पहनते रहे जो अंगुली कटा कर शहीद कहलाये, नहीं तो जो वाकई सेनानी थे वे चले गए या फिर सुभाष बन गए. हमने तो सदा ही आजादी गाँधी की देन समझी . १८५७ से १९४७ तक जो अपना जीवन होम कर गए वे बागी के नाम से जाने गए.
नो डैथ नो एयर क्रेश !
Posted on by रेखा श्रीवास्तव in
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आज भी आम जनता तो सच जानने की उत्सुक हैमगर सियासती चालों के आगे विवश है……………नेता जी की जगह अगर कोई और होता तो शायद ऐसा नही होता यही फ़र्क है।
जवाब देंहटाएंनेताजी की मृत्यु १८ अगस्त १९४५ के दिन किसी विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने, नेताजी ने अपनी गरिमा और देश की राजनैतिक विवशताओं में अपना जीवन होम कर दिया और हम उनको खोज कर भी अनजान बने रहे. उनके जाने के बाद भी उनके ससम्मान अंतिम क्रिया के लिए हाथ बंधे रहे.
जवाब देंहटाएंअच्चि जानकारी।
जवाब देंहटाएंआजादी के बाद यह नेहरु की सरकार ने हमे फ़िर से गुलाम बना दिया, अगर यह दो गलो की सरकार ना होती ओर नेता जी जेसा, या नेता जी खुद प्रधान मत्री बनते तो देश के हालात बहुत अलग होते
जवाब देंहटाएंरेखाजी अच्छी जानकारी दी है आपने। यह हमारा दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है की नेताजी जैसे देश के सपूतों को गुमनामी में जिंदगी गुजारनी पड़े। सियासत के खेल में शहादत का मोल कौन करे.................?
जवाब देंहटाएंnetaaji pr bhut kuch likhaa he lekin is desh ke logon ko smjh me khaan aata he. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंअच्छी बात कही ....सियासत जो न करे थोड़ा है ..
जवाब देंहटाएं