वहां चांद मिलेगा
चिमनी मिलेगी
टांग आपकी होगी
टांगेंगे भी आप।
तो आप चांद से
चिमनी से
या कविश्री सुरेश यादव से
मिलने आ रहे हैं
संचालन डॉ. जगदीश व्योम
चिमनी पर चांद टांगने वाले कविश्री |
आप हम सब।
तो चलें
शुक्रवार को त्रिवेणी सभागार
तानसेन मार्ग, नई दिल्ली में
6 अगस्त 2010 को
आजादी माह आरंभ हो चुका है
चलो इसी माह में
चिमनी पर टंगे चांद को
कर दें आजाद हम
और श्रेय लूटने दें
लोकार्पणकर्ता को।
शिल्पायन का चयन
नि:संदेह उत्तम है।
सुरेश भाई को नयी पुस्तक के लिये शुभकामनायें. अच्छी रचनायें पहले मनुष्य की कल्पना में और फिर जमीन पर नया समाज गढती हैं. सुरेश निरंतर रचना और समाज परिष्कार के इस स्वधर्म में लगे रहते हैं, यह बडी बात है. आज के समाज में ऐसे साथियों की बहुत जरूरत है.
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