जिस प्रकार पुरुष की कारगुजारी देखकर महिलाओं में ईर्ष्या उत्पन्न हो जाती है। वैसा ही कुछ चप्पलों के मन में चल रहा था। चप्पलों की आपस में कई बार चर्चा भी हो चुकी थी कि अपने कारनामों से तो अब तक कोई नाम कमा नहीं पाई हैं, तो क्यों न, इस बार करतूत ही कर दी जाए, जिससे चाहे बदनामी मिलेगी .... पूरा पढ़ने के लिए क्लिक कीजिए
चप्पलें खूब खुश हैं (अविनाश वाचस्पति)
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