हिन्दी ब्लॉग जगत पर एक विहंगम दृष्टि वशिनी शर्मा की। घबराइये मत कि इतना बड़ा लेख है, जब आप इसे पढ़ेंगे तो आप सबके मन में हिन्दी ब्लॉग तरंगे हिलोरें लेंगी और यही इस लेख की सार्थकता है। आप इसे अवश्य पढि़ए और पढ़ने के लिए सबको इस पोस्ट का लिंक भी प्रेषित कीजिए। मैंने इसे पढ़ा और सबसे बांटने का लोभ संवरण नहीं कर पाया। वशिनी शर्मा जी ने काफी शोधपूर्ण लेख लिखा है। नुक्कड़ परिवार, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा की साहित्य शिक्षण एवं पाठ विश्लेषण पर केन्द्रित गवेषणा अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, भाषाशिक्षण तथा साहित्य चिंतन की पत्रिका और वशिनी शर्मा जी का हृदय से आभारी है। एक-एक इमेज पर क्लिक करते जाइये और पढ़ते जाइये।
केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा की गवेषणा पत्रिका अंक 94/2009 से ब्लॉगजनहिताय साभार।
ई-साहित्य और हिन्दी ब्लॉग : सार्थक अभिव्यक्ति का एक झरोखा - वशिनी शर्मा
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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is lekh ke liye Vashini jee ko aur iskee prastuti ke liye Avinashjee ko badhaai. bahut saaree jaankariyaan milin.
जवाब देंहटाएंवाशिनी शर्मा का यह ब्लॉग सार गर्भित और जानकारी पर आधारित है .उनकी अपनी सीमायें हैं बधाई अविनाश जी ,को धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंक्या डिजिटल प्रति आ सकती है ?
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जानकारी,तथ्यों और कई अनजानी जानकारियों से भरपूर .....लेखक और अविनाशजी दोनों ही बधाई के पात्र हैं.अविनाशजी ज्यादा क्योंकि आपकी बदौलत हम इस 'गागर में सागर 'तक pahunch sake
जवाब देंहटाएंwww.jugaali.blogspot.com