सडक पर तोडा दम मतलब भूख से मौत
सुको की समिति ने दी अपनी सिफारिश
शहरी बेघरों का सर्वे करना होगा छः माह के अंदर
(लिमटी खरे)
सुको की समिति ने दी अपनी सिफारिश
शहरी बेघरों का सर्वे करना होगा छः माह के अंदर
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 12 जुलाई। भारत गणराज्य की सर्वोच्च अदालत से अपील की गई है कि भुखमरी सिद्ध होने पर कठोर सजा और मृतक के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा सुनिश्चित किया जाए। अगर दुर्घटना से इतर कोई मौत सडक पर होती है तो उसे भूख से हुई मौत ही माना जाए। यह सिद्ध होने पर कि उसकी मृत्यु दुर्घटना में नहीं हुई है, तो उसे भुखमरी की मौत ही माना जाएगा। ये सारी बातें खाद्य सुरक्षा पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति के प्रतिवेदन के उपरांत प्रकाश में आई हैं।
खाद्य सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई समिति के आयुक्त डॉ.एन.सी.सक्सेना और विशेष आयुक्त हर्ष मंदर ने अपने प्रतिवेदन में कहा है कि भारत गणराज्य की सर्वोच्च अदालत भारत के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को निर्देश दे कि यदि कोई व्यक्ति सडक पर मरता है और यह साबित हो जाता है कि उसकी मौत दुर्घटना या किसी बीमारी के चलते नहीं हुई है तो उसकी मौत को भूख से हुई मौत ही माना जाए।
इस तरह की मौत होने पर मौत का कारण सुनिश्चित करने हेतु सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत दण्डाधिकारी से जांच,मान्यता प्राप्त गैर सरकारी संगठन से उसकी मौखिक आटोप्सी, सक्षम चिकित्सक से उसका शव परीक्षण आदि आवश्यकतौर पर करवाया जाए। समिति ने सिफारिश की है कि अगर मौत का कारण भूख आता है तो इसके लिए सख्त दण्डात्मक कार्यवाही का प्रावधान किया जाए, और परिजनों को पर्याप्त मुआवजा भी प्रदान किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित इस समिति ने यह प्रावधान किया है कि सर्वोच्च न्यायालय राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को यह स्पष्ट निर्देश दे कि वे अपने अपने सूबों में शहरी बेघरों की पहचान इस साल अक्टूबर माह तक सुनिश्चित करे और उनकी वास्तविक संख्या के बारे में न्यायालय को आवगत करवाए। इस प्रतिवेदन पर केंद्र सरकार ने राज्यों को पत्र लिखकर उनका जवाब मांगा है।
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