तुस्सी ग्रेट हो नेताजी

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  • सुनील वाणी
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  • (सुनील)
    कहतें हैं नेता बयान देने में काफी माहिर होते हैं। किसी भी समस्या या आरोपों को लेकर पूछे गए सवालों पर वह बहुत ही बेबाकी से जवाब देकर अपनी और अपनी पार्टी को पाक साफ बताने की पूरी कोशिश करते हैं। अभी भोपाल गैस कांड का फैसला आने के बाद कई लोग कई तरह के बयान दे रहे हैं। हां, इस बार कुछ महारथी ऐसे भी हैं जो चुप रहने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं। लाशों के ढेर पर भी जिन्हें नींद आती हो उनसे और उम्मीद भी क्या की जा सकती है। उस पर भी कुछ लोग ऐसे हैं जो उस सोने वालों को अब उन लाशों का रखवाला बता रहे हैं। ऐसा ही एक बयान एक वरिष्ठ नेता का सुनने को मिला। जिसमें उन्होंने कहा है कि 'उनके पास और कोई विकल्प नहीं था, उस वक्त लोग गुस्से में थे और वारेन एंडरसन को बाहर निकालना अर्जुन सिंह का सही फैसला था।' वाह लज्जा नहीं आई, जब भारतीयों के जमीन पर भारतीय तडप-तडप कर मर रहे थे तो क्या लोगों को उस वक्त एंडरसन दिखाई पड रहा था और जिनको एंडरसन दिखाई पड रहा था वो तो उसे लोगों के लाशों पर चलकर उन्हें ससम्मान विदाई दे रहे थे। इतने लोगों को एक साथ मौत देना क्या आसान बात है, पल भर के लिए तो अच्छे से अच्छा जल्लाद भी कांप जाए। ऐसे में तो एंडरसन को पुनः वापस बुलाकर डी-लिट की उपाधि प्रदान करनी चाहिए थी। इनकी हरकतों को देखकर तो ऐसा लगता है कि इनके अंदर की इंसानियत तो बिल्कुल मर चुकी है। पीड़ित समुदाय तो इतनी बडी आपदा पहले ही झेल रही थी, दूसरा चोट फैसले ने दे दिया और रही सही कसर इन नेताओं के बयान ने पूरी कर दी। क्या हम भारतीय इतने कमजोर हैं जो किसी के दबाव के आगे इतने मजबूर हो जाते हैं कि अपने ही लोगों के लाशों पर चलकर एक अपराधी को जंग में जीते हुए सैनिक की तरह विदा करते हैं। स्थितियां तो उस समय भी बडी विकट रही होंगी जब आतंकियों ने ताज को निशाना बनाया था तो कसाब को भी क्यों पकडा। उसे भी बाइज्जत पाकिस्तान तक छोड कर आते।

    4 टिप्‍पणियां:

    1. hafte bhar se yahi sab sun raha hun..par asar kahin nahin dikh raha...sarkaar bhi jaanti hai kutte bhaunkenge jab thak jaayenge so jaayenge...

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    3. इतनी निराशा ठीक नहीं ..हो सकता है कसाब को ससम्मान पहुँचाने की तैयारी चल रही हो ..:):)

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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