क्या हो गया नेहरू गांधी की कांग्रेस को!

Posted on
  • by
  • Unknown
  • in
  •  

    वर्तमान कालिख पोत रहा है कांग्रेस के स्वर्णिम इतिहास पर

    हजारों के कातिल एंडरसन के बाडीगार्ड को उपकृत करने में जरा भी नहीं शर्माई कांग्रेस

    मनरेगा का एमीनंेट सिटीजन बनाया स्वराज पुरी को

    (लिमटी खरे)

    ''भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका किसने निभाई? भारत गणराज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सत्तर के दशक तक ईमानदारी तक किसने प्रयास किया? देश को विकास के पथ पर कौन ले जाने प्रयासरत रहा है? भारत पर जान न्योछावर करने वाले  सच्चे वीर सपूत किस दल से संबद्ध थे?'' इन सारे जवाबों का एक ही उत्तर आता है और वह है ''कांग्रेस''। वर्तमान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का चेहरा इससे उलटा ही दिख रहा है। अस्सी के दशक के उपरांत की कांग्रेस ने सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस का मौखटा अवश्य ही लगाया हुआ है, पर वह काम अपने मूल आदर्श और उद्देश्यों से हटकर ही कर रही है। सच ही कहा है ''जब नास मनुस का छाता है, तब विवेक मर जाता है।'' कांग्रेस के साथ भी कुछ इसी तरह का हो रहा है। हालात देखकर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि कांग्रेस का विवेक, आत्म सम्मान और स्वाभिमान या तो मर चुका है, या फिर उसने विदेशियों के हाथों गिरवी रख दिया है।

    भोपाल गैस कांड के घटने के बाद छब्बीस साल तक वही कांग्रेस जिसने देश पर आधी सदी से ज्यादा राज किया है, अनर्गल उल जलूल हरकतों पर उतारू हो गई है। कांग्रेस के कदम देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि देश में अब प्रजातंत्र नहीं बचा है, देश में हिटलर शाही हावी हो चुकी है। कांग्रेस को जो मन में आ रहा है, वैसे फैसले ले रही है, बिना रीढ का विपक्ष भी आंखों पर पट्टी बांधकर चुपचाप देशवासियों के साथ अन्याय हो सह रहा है। वामदल हों या भाजपा या और किसी दल के सियासी नुमाईंदे सभी मलाई खाने को ही अपना प्रमुख धर्म मानकर काम करने में जुटे हुए हैं, आवाम के दुख दर्द से किसी को कुछ भी लेना देना नहीं रहा है। रियाया मरती है तो मरती रहे, हम तो नोट छाप रहे हैं, जिसको जो सोचना है, सोचता रहे हम तो शतुर्मुग के मानिंद अपना सर रेत में गडाकर यह सोच रहे हैं कि हमें कोई देख नहीं रहा है।
     


    2 और 3 दिसंबर 1984 में देश के हृदय प्रदेश में घटे भोपाल गैस हादसे में बीस हजार से अधिक लोग असमय ही काल कलवित हो गए थे, पांच लाख से ज्यादा प्रभावित या तो अल्लाह को प्यारे हो चुके हैं या फिर घिसट घिसट कर जीवन यापन करने पर मजबूर हैं, पर जनसेवकों को इस बात से कोई लेना देना नहीं है। लेना देना हो भी तो क्यों, उनका अपना कोई सगा इसमें थोडे ही प्रभावित हुआ है। देश की जनता की जान की कीमत इन सभी जनसेवकों के लिए कीडे मकोडों से ज्यादा थोडे ही है। मोटी चमडी वाले जनसेवकों ने तो भोपाल हादसे में मारे गए लोगों के शवों पर सियासी रोटियां सेकने से भी गुरेज नहीं किया। छब्बीस साल तक गैस पीडित अपना दुखडा लेकर सरकारांे के सामने गुहार लगाते रहे पर उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती ही साबित हुई है। अब जब फैसला आ गया है तब सारे दलों के लोगों का जमीर जागा है, वह भी जनता को लुभाने और दिखाने के लिए, अपना वोट बैंक पुख्ता करने के लिए।

    भोपाल गैस कांड के प्रमुख आरोपी वारेन एंडरसन को भारत लाकर उसकी सुरक्षित वापसी में प्रत्यक्षतः प्रमुख भूमिका वाले भोपाल के तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी को प्रदेश में सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी ने पुलिस महानिदेशक पद से सेवानिवृत्ति के बाद मध्य प्रदेश में नर्मदा घटी विकास प्राधिकरण में शिकायत निवारण अथारिटी में पदस्थ कर राज्य मंत्री का दर्जा देकर उपकृत किया, अब किस मुंह से भाजपा गैस पीडितों के लिए लडने का दावा कर रही है यह बात समझ से ही परे है। 14 जून को मीडिया ने जब पूर्व मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा से यह सवाल किया तब भाजपा का जमीर जगा और 15 जून को स्वराज पुरी को उनके पद से हटा दिया गया।

    सेवानिवृत वरिष्ठ नौकरशाहों पर पता नहीं क्यों जनसेवक और सरकारें मेहरबान रहा करती हैं। हो सकता है कि सेवाकाल में जनसेवकों के अनैतिक कामों को अंजाम देने के बदले में उन्हें सरकारों द्वारा इस तरह का पारितोषक दिया जाता हो। मध्यप प्रदेश की भाजपा सरकार ने स्वराज पुरी को उनके पद से प्रथक किया तो ''तेरी साडी मेरी साडी से सफेद कैसे'' की तर्ज पर केद्र में सत्तारूढ कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने एंडरसन के ''बाडी गार्ड'' रहे स्वराज पुरी को हाथों हाथ ले लिया है। कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी की पसंद बने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने स्वराज पुरी को महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में एमिनेंट सिटीजन बना दिया गया है। स्वराज पुरी की नियुक्ति दो वर्षों के लिए की गई है।

    खबर है कि पुरी सहित पांच दर्जन से अधिक लोगों की नियुक्ति इस पद पर की गई है। इनका काम मनरेगा की जमीनी हालातों का जायजा लेकर केंद्र को रिपोर्ट सौंपना है। इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री जोशी ने सभी सूबों के ग्रामीण विकास मंत्रियों को पत्र लिखकर न केवल इनकी नियुक्ति की सूचना दी है, वरन् पुरी सहित अन्य सिटीजन्स को उनके भ्रमण के दौरान आवश्यक सहयोग और सुविधाएं भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। चूंकि पुरी पर मध्य प्रदेश में दबाव है, अतः उन्हें छत्तीसगढ के राजनांदगांव का प्रभार सौंपा गया है।

    आवाम ए हिन्द (भारत गणराज्य की जनता) की स्मृति से अभी यह विस्मृत नहीं हुआ है कि चंद दिनों पहले ही समाचार चेनल्स ने गैस कांड के प्रमुख आरोपी वारेन एंडरसन की गिरफ्तारी के प्रहसन और उसके बाद एंडरसन के ''बाडीगार्ड'' और ''सारथी'' बनकर सरकारी वाहन में तत्कालीन जिला दण्डाधिकारी मोती सिंह के साथ विमानतल तक पहुंचाने और राजकीय अतिथि के मानिंद उसे भगाने के फुटेज दिखाए गए थे। जनता के मन मस्तिष्क में कांग्रेस और भाजपा के प्रति यह सब देख सुनकर भावनाएं किस तरह की होंगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

    कांग्रेस का इतिहास अस्सी के दशक तक स्वर्णिम माना जा सकता है। अस्सी के दशक के उपरांत जब स्व.राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे, तब उन्होंने सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार किया था कि सरकार द्वारा आम जनता के लिए भेजे गए एक रूपए में से चंद पैसे ही जनता के हित में खर्च हो पाते हैं। जब भारत गणराज्य जैसे शक्तिशाली देश का वजीरेआजम ही इस तरह की बात को स्वीकार करे वह भी सार्वजनिक तौर पर तो क्या कहा जा सकता है। इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस के शासनकाल में ही भ्रष्टाचार की जडों में खाद और पानी तबियत से डाला गया है। एक समय था जब सरकारी कार्यालयों में दप्तियां चस्पा होती थीं, जिन पर लिखा होता था, ''घूस (रिश्वत) लेना और देना अपराध है, घूस लेने और देने वाले दोनों ही पाप के भागी हैं।'' कालांतर में इस तरह के जुमले इतिहास की बात हो चुके हैं। नैतिकता आज दम तोड चुकी है, हावी हैं तो निहित स्वार्थ।

    रीढ विहीन विपक्ष भी अपनी बोथली धार लिए सत्तापक्ष से युद्ध का स्वांग रच रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीन दशकों से चल रही ''नूरा कुश्ती'' से जनता उब चुकी है। अब विपक्ष की कथित हुंकार सुनकर जनता को उबकाई आने लगी है। बीस हजार लोगों के कातिल वारेन एंडरसन के बाडीगार्ड को भाजपा ने अपनी दहलीज से भगाया तो उसी स्वराज पुरी को उपकृत करने में जरा भी नहीं शर्माई कांग्रेस, और पुरी को नियुक्त कर दिया मनरेगा का एमीनंेट सिटीजन, वह भी दो साल के लिए। आज जनता जनार्दन के मानस पटल पर यह प्रश्न कौंधना स्वाभाविक ही है कि नेहरू गांधी के सिद्धांतो पर चलने वाली कांग्रेस को अचानक क्या हो गया है?

    --
    plz visit : -

    http://limtykhare.blogspot.com

    http://dainikroznamcha.blogspot.com

    2 टिप्‍पणियां:

    1. अजी यह काग्रेस अभी भी उस नेहरु के सिद्धांतो पर ही चल रही है, उस ने काश्मीर को भारत से अलग किया बाकी काम आज यह कर रही है

      जवाब देंहटाएं

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
    Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz