अगर आप को राजनीति करनी है तो यह बात ठीक से समझ लेनी होगी कि दलगत हित में अनेक अवसरों पर आप सहर्ष युधिष्ठिर और धृतराष्ट्र की भूमिका का निर्वाह करेंगे। कभी अर्धसत्य बोलना पार्टी के लिए फायदेमंद होगा, तो आप को नरो वा कुंजरो की शैली अख्तियार करनी होगी, भले ही आप सच जानते हों। कई बार ऐसे मौके भी आयेंगे, जब आप को झूठ बोलना होगा क्योंकि उस समय वही पार्टी का भला करने वाला होगा। इतना ही नहीं उन हालातों से भी आप रूबरू होंगे, जब आंखें खुली होते हुए भी आप को कुछ नहीं दिखायी पड़ने का नाटक करना होगा।
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कलम की सूली पर
Posted on by Subhash Rai in
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राजनीति के कारगर सूत्र ।
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