उड़नखटोले से उतरकर “राम” पूछेंगे, कब से भूखे हो...?

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  • उपदेश सक्सेना
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  • (उपदेश सक्सेना)
    एक खबर है, खबर क्या जी, धांसू शोध का विषय. बिहार हिंदी डिक्शनरी का एकमात्र ऐसा शब्द है जिसके बारे में ही शायद - हरि अनंत, हरि कथा अनंता.... कहा गया होगा. बिहार केवल खबर नहीं पूरा अखबार है, यह आप-हम अच्छी तरह से जानते हैं. अब इसी अखबार से एक एक खबर, वह यह कि बक्सर की डुमरांव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक दद्दन पहलवान पूरे पाँच महीने तक ज़मीन पर पैर नहीं धरेंगे. आप अन्यथा न लें, वे इस दौरान पलंग पर आराम नहीं करेंगे, वे जनप्रतिनिधि हैं सो अपनी जनता की सुध-बुध लेने पाँच महीनों तक हेलीकॉप्टर से उडेंगे, गरीबों से मिलेंगे, उनकी भूख-प्यास का हाल जानेंगे. कल्पना कीजिये, कितना भावप्रवण दृश्य होगा जब भूखी-नंगी जनता के बीच उनका ‘खेवनहार’ उड़नखटोले से उतरेगा, पूछेगा कि कब से खाना नहीं खाया, पानी नहीं पिया, कब से कपडे तन पर नहीं हैं?
    1 जून से 30 सितम्बर तक के लिए दद्दन भाई ने एक निज़ी कम्पनी का हेलीकॉप्टर किराए पर लिया है, इसका किराया है 75 हज़ार रुपये प्रति घंटा और वे इस पर हर दिन साढ़े तीन घंटे की उड़ान भरेंगे, हर दिन करीब तीन लाख का खर्चा. इस किराए में पायलट और देखभाल का खर्च शामिल नहीं है. इस हिसाब से पहलवान क़रीबन 7 करोड़ रुपये खर्च कर अपनी गरीब जनता का हाल जानेंगे. इस हवाई यात्रा में वे सरकारों की कारगुज़ारियों का अपनी गरीब जनता के सामने पर्दाफाश करेंगे.
    पहलवान जी, पहले समाजवादी पार्टी में थे. राबड़ीदेवी सरकार में वे मलाईदार विभाग के मंत्री भी रहे हैं, जब दलगत राजनीति से मोहभंग हो गया तो, डुमरांव से निर्दलीय विधायक बन गए. अब लालू यादव और नितीश कुमार दोनों उनके निशाने पर हैं. वैसे पहलवान खुद अपना हेलीकॉप्टर खरीदना चाहते थे, मगर इसके लिए उनके पास योग्य स्टाफ नहीं होने से उन्होंने यह आइडिया ड्रॉप कर दिया. पूरा खर्च (उनके अनुसार) उन्होंने अपनी भोजपुर, पटना, बनारस की ज़मीनें बेचकर जुटाया है. भविष्य में कभी खुद का हेलीकॉप्टर खरीदने का फिर प्लान बना तो, इसके लिए भी अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है, उनका बेटा करतार अमरीका में पायलट का प्रशिक्षण ले रहा है.गरीबों तक किसी जनप्रतिनिधि के पहुँचने के जज़्बे से मेरी तो आँखें भीग गईं हैं, आपकी...........?

    2 टिप्‍पणियां:

    1. मेरी आंखों से तो आंसुंओं की धार बह रही है...

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    2. पूरा खर्च (उनके अनुसार) उन्होंने अपनी भोजपुर, पटना, बनारस की ज़मीनें बेचकर जुटाया है. लेकिन इस जमीन को खरीदा केसे था, ओर उस से पहले इन की ओकात क्या थी? जरा यह भी बताते, ऎसे महान बिधायक को तो....... कितने महान है..... भगवान इन की आत्मा को शांति दे:)

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