कथाक्रम पत्रिका में 'ब्‍लॉग पर कुछ ट्वीटिंग' - संपादकीय में शैलेन्‍द्र सागर जी ने जैसा लिखा है

Posted on
  • by
  • अविनाश वाचस्पति
  • in
  • Labels:
  • कथाक्रम पत्रिका के अप्रैल-जून अंक में ..पत्रिका के संपादक शैलेन्द्र सागर जी ने वर्तमान अंक में ब्लॉग की विसंगतियों पर "ब्लॉग पर कुछ ट्वीटिंग" शीर्षक से सम्पादकीय लिखा है. 
    यहां क्लिक करके आप भी पढि़ए 
    और अपनी राय रखिए।  इस पर सार्थक विमर्श जरूरी है।
    साभार : कथाक्रम पत्रिका और उसका सच ब्‍लॉग से।

     

    2 टिप्‍पणियां:

    1. शैलेन्द्र जी,
      आपका ब्लॉग लेखन के प्रति आक्रोश उचित है, लेकिन विचारधाराएँ दोनों ही प्रकार की होती हैं. हम अपनी अपनी मानसिकता और रचनाधर्मिता को प्रस्तुत कर रहे हैं. कुछ कुंठित व्यक्तित्व अपनी कुंठाओं को ब्लॉग के सहारे ही व्यक्त कर रहे हैं. उनको कोई भी समझा या सुधार नहीं सकता है. वे आने वाली पीढ़ी को अपनी सोच उजागर कर रहे हैं लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत आप उनको मना नहीं कर सकते हैं. बस ऐसे लेखन का एक ही विकल्प है कि उनके लेखन को पढ़ा ही न जाय और यदि पढ़ा ही जाय तो सिर्फ और सिर्फ आपति ही दर्ज हो. लेकिन उनकी ही बिरादरी के लोग नेताओं के चमचों की तरह नेताजी जिंदाबाद के नारे लगा कर उनको ये समझा रहे हैं कि वे बहुत बड़े साहित्यकार हैं और उनको लगता है कि लोग उन्हें बहुत पसंद कर रहे हैं. समाज और मानव मूल्य सुधर जितने ही जाएँ लेकिन अश्लील को श्लील नहीं बना सकते हैं. प्रबुद्ध जन इसके विरुद्ध मोर्चा खोलें तो शायद कुछ सुधारकी आशा की जा सकती है.

      जवाब देंहटाएं

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
    Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz