शिव के माथे पर लगा बदनुमा दाग

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    हृदय प्रदेश में फिर दागदार हुई वर्दी

    एसपी को लेना होगा नैतिक जिम्मेवारी

    (लिमटी खरे)

    हरियाणा प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौर के द्वारा रूचिका गहरोत्रा के साथ की गई ज्यादती, रूचिका का काल कलवित होना और इंसाफ के लिए बीस साल तक रगडना, यह सब अभी लोगों की स्मृति से विस्मृत नहीं हुआ है, कि अचानक ही देश के हृदय प्रदेश के छतरपुर जिले में दो कोमलांगी बालाओं द्वारा पुलिस की अमानवीय बर्बरता के सामने घुटने टेककर आत्महत्या करने का दिल दहलाने वाला वाक्या सामने आया है।

    एक ओर मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान अपनी कमान वाले सूबे को स्वर्णिम प्रदेश बनाने के ताने बाने बुन रहें हैं, वहीं दूसरी और उनकी सरकार के ही खाकी वर्दी वाले नुमाईंदों द्वारा आवाम के साथ बर्बरता की नायाब पेशकश प्रस्तुत की जा रही है। शिवराज सिंह चौहान इस हादसे में यह कहकर अपना पल्ला झाडने का प्रयास कर रहे हैं कि रक्षक ही भक्षक बन गए हैं। मामले की जांच अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी से करवाई जा रही है। इस मामले में छतरपुर के पुलिस अधीक्षक प्रेम सिंह बिष्ट ने ओरछा रोड थाना प्रभारी के.के.खनेजा सहित तीन को निलंबित कर दिया है।

    दरअसल बिन मां की दो बच्चियों के पिता राजकुमार सिंह देश के नौनिहालों का भविष्य संवारने का काम करते हैं, वे पेशे से शिक्षक हैं। जब इनमें से एक अपने मित्र के साथ झांसी मार्ग से अपने घर लौट रही थी, तब ओरछा रोड थाने में पदस्थ सिपाही अरविंद पटेल और कन्हैया लाल ने उन्हेें धमकाया और जबरिया उस युवती को निर्वस्त्र कर अपने मोबाईल से उसके अश्लील वीडियो बना लिए। पीडिता ने इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक प्रेम सिंह बिष्ट से की, मगर नतीजा सिफर ही निकला।

    शिव के राज में मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार और बेलगाम अफसरशाही के बेलगाम घोडे तो पहले से ही दौडते आ रहे हैं, अब रियाया की जान माल का जिम्मा संभालने वाली खाकी वर्दी पहनने वालों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि वे अबोध मासूम बालाओें की इज्जत पर सरेआम हाथ डालने का दुस्साहस भी करने लगे हैं। इनके इस तरह के दुष्कृत्य की अगर उच्चाधिकारियों से शिकायत की जाती है, तो उच्चाधिकारी दोषियों को इस शर्त पर निलंबित करते हैं कि अगर पीडिता अपनी शिकायत वापस ले लें तो उन पर कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी।

    जाहिर है कि उच्चाधिकारियों के इस तरह के प्रश्रय का लाभ उठाकर आरोपियों द्वारा अपनी खाकी वर्दी का रौब तो गांठा ही जाएगा। फिर अगर हाथ में लट्ठ लिए सिपाही गर्जेगा तो बेचारी आम जनता तो चूहे की तरह बिलों में छिपने को मजबूर होगी ही। गौरतलब होगा कि अभी दो दिन पहले ही इंदौर के अन्नपूर्णा नगर थाने में प्रदेश की सरकारी और गैरसरकारी जमीनों की हेराफेरी के एक बहुत बडे आरोपी और भूमाफिया बॉबी छावडा को इंदौर पुलिस हवालात में एयर कंडीशनर की व्यवस्था के लिए चर्चित होती है, फिर दो दिन बाद ही छतरपुर में अबोध बालाओं को इहलीला समाप्त करने पर मजबूर कर देती है।

    छतरपुर की यह घटना निश्चित तौर पर मध्य प्रदेश पुलिस के साथ ही साथ सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान के माथे पर कभी न धुलने वाले कलंक के मानिंद ही माना जा सकता है। याद पडता है कि जैसे ही भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश में सत्ता संभाली थी, तभी सवर्ण और दलित के बीच हुई तकरार के चलते सिवनी जिले में भोमाटोला कांड घटित हुआ था, इसमें सर्वण समाज के दर्जनों लोगों ने सारे गांव के सामने एक अधेड दलित महिला और उसकी जवान बहू का बलात्कार किया था। इस मामले में दोषियों को सजा मिल चुकी है, पर यह कांड भाजपा के सत्ता में आने के साथ ही हुआ था।

    इस मामले में बताया जाता है कि भोपाल में प्रशिक्षण ले रहे छतरपुर के पुलिस अधीक्षक ने प्रभारी पुलिस अधीक्षक एवं छतरपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए थे कि दोनों ही आरोपियों को निलंबित किया जाए। जैसे ही उपर से कार्यवाही के डंडे की आशंका हुई इन दोनों ही आरोपियों ने पीडिता के बयान लेने गए सहयोगी आरक्षक दिनेश सिंह और प्रवीण त्रिपाठी के माध्यम से दोनों ही बालाओं पर अपनी शिकायत वापस लेने दबाव बनाया। किसी भी अधिकारी ने यह जानने का प्रयास अब तक नहीं किया है कि महिलाओं के बयान लेने के लिए महिला पुलिस को ले जाना सिंह और त्रिपाठी ने उचित क्यों नहीं समझा।

    छतरपुर की यह घटना प्रदेश के उस हर मां बाप की पेशानी पर चिंता की लकीरें उभार सकती है, जिनकी जवान बच्चियां हैं। खाकी वर्दी के गुरूर में कोई भी सरकारी नुमाईंदा किसी के साथ भी मनमानी कर सकता है। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मध्य प्रदेश सूबे में आज की तारीख में कानून और व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है। प्रदेश में पूरी तरह जंगलराज कायम है। कहीं आम जनता पर जुल्म ढाया जा रहा है तो कहीं मीडिया के इस तरह की गफलतों के खिलाफ आवाज उठाने पर उनके खिलाफ दमनात्मक कार्यवाहियां की जा रहीं हैं। यह सब देख सुन कर भी सूबे के निजाम ''नीरो'' के मानिंद बांसुरी बजा रहे हैं।

    रूचिका का मामला देश में मीडिया ने उछाला। जोर शोर से उछले मामले में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी राठौर को सजा दिलवाने में बीस बरस का समय लग गया है। उस हिसाब से यह मामला तो बहुत छोटा ही है। आज प्रिंट मीडिया की यह सुर्खियां बना हुआ है, पर निहित स्वार्थ में उलझा मीडिया भी इस खबर को एकध सप्ताह में बीच के पन्नों में लाकर इसका दम तोड देगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चेतना होगा। मीडिया को मध्य प्रदेश सरकार की तंद्रा तोडनी होगी। इस मामले में पुलिस अधीक्षक या प्रभारी पुलिस अधीक्षक को नैतिक जिम्मेदारी लेनी ही होगी, क्योंकि हर मामले में विभाग का प्रमुख ही जवाबदार होता है। सरकार को इस मामले में कठोर कदम उठाना ही होगा, अन्यथा आने वाले समय में शांत और सौम्य समझे जाने वाले देश के हृदय प्रदेश, मध्य प्रदेश के बिहार बनते देर नहीं लगेगी।

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