पंवार पर बरसे राजनाथ
छ: माह में पहली मर्तबा सर उठाया भाजपा ने
गडकरी को पीछे छोडने की तैयारी में राजनाथ
अपने कार्यकाल में नहीं पद छोडने के बाद दिखाए तीखे तेवर
अपने कार्यकाल में नहीं पद छोडने के बाद दिखाए तीखे तेवर
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 17 अप्रेल। भाजपाध्यक्ष के पद से उतरने के बाद अब राजनाथ सिंह ने नितिन गडकरी की निष्क्रीयता का फायदा उठाकर एक बार फिर सक्रिय रोल अदा करने की ठान ली है। सालों साल मौनी बाबा बने रहने वाले राजनाथ सिंह ने अचानक ही कांग्रेस के कद्दावर संसद सदस्य अवतार सिंह भडाना के संसदीय क्षेत्र फरीदाबाद में जाकर भारतीय खाद्य निगम के गौदामों का औचक निरीक्षण कर सबको चौंका दिया।
फरीदाबाद और पलवल में जाकर राजनाथ सिंह ने गोदामों में सड रहे गेंहूं के बारे में अपनी चिन्ता को सार्वजनिक किया। एफसीआई के गौदाम में रखरखाव के अभाव में सड रहे गेंहूं को देखकर राजनाथ सिंह हत्थे से उखड गए। उन्होंने कहा कि सक्सेना कमेटी का प्रतिवेदन कहता है कि देश में 51 फीसदी से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) जीवनयापन करते हैं। सरकारी तन्त्र को आडे हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि बेलगाम अफसरशाही और बिगडेल बाबूराज के चलते बीपीएल कार्ड ही गरीबों को नसीब नहीं हो पा रहे हैं। जहां बीपीएल कार्डधारकों को अनाज मिल भी रहा है, वहां उन्हें सडा गेंहू मिलाकर दिया जा रहा है।
राजनाथ सिंह का आरोप था कि पिछले दो सालों में रखखरवाव और भण्डारण के अभाव मेें बहत्तर लाख 36 हजार 235 टन गेंहूं सड गया। इस तरह सडे गेंहू के नमूने सदन में पेश किए जाएंगे, और सांसदों की समिति बनाकर गेंहूं के सडने के कारणों का पता लगाने, जवाबदेही तय करने और खाद्य सुरक्षा विधेयक लाने की मांग की जाएगी।
राजनाथ के एकाएक सक्रिय होने से भाजपा के आला नेताओं के कान खडे हो गए हैं। राजनाथ सिंह के करीबी सूत्रों का कहना है कि सितम्बर माह से भाजपा के नए निजाम के चुनने और ताजपोशी का उपक्रम किया जा रहा था। इसके बाद अब तक पिछले छ: माहों में केन्द्र सरकार की मनमानियों के खिलाफ भाजपा की धार बोथरी ही रही है। इसी बात को राजनाथ सिंह को समझाया गया है कि जब गडकरी सक्रिय होकर आगे आएं तब तक तो आप अपना काम युद्ध स्तर पर जारी रखिए। गौरतलब होगा कि अपने खुद के कार्यकाल में राजनाथ सिंह पूरी तरह मौनी बाबा के रोल में नज़र आए थे।
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