कार्टूनकार इरफान जी से रूबरू होना (अविनाश वाचस्पति)
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इरफान
जामिया मिलिया इस्लामिया की एम एफ हुसैन आर्ट गैलरी में दिनांक 11 मार्च 2010 की सांय असगर वजाहत जी के बनाए चित्रों की एक प्रदर्शनी का उद्घाटन ललित कला अकादमी के चेयरमैन अशोक वाजपेयी ने किया। इस मौके पर काफी संख्या में कला प्रेमी मौजूद थे।
इस अवसर पर मेरी मुलाकात इरफान जी से हुई। जनसत्ता में इनके कार्टूनों का मैं पुराना प्रशंसक हूं और बातचीत में उन्होंने बतलाया कि मेरी काव्यमयी टिप्पणियां उन्हें अच्छी लगती हैं। इरफान के साथ छप्पनभोग ब्लॉगस्वामी रामगोपाल पारीक जी भी थे। वे अपने को विशुद्ध पाठक मानते हैं और वे अपने ब्लॉग पर सक्रिय नहीं है परन्तु पढ़ते वे खूब हैं। मैंने उन्हें कहा कि आप चाहे महीने में एक ही पोस्ट लिखें परंतु लिखें अवश्य। मैं कला समीक्षक विनोद भारद्वाज से उनके लेपटाप के संबंध में चर्चा में व्यस्त था कि अचानक ही इरफान नजर आए।
इन दोनों से मिलना बहुत सुखद रहा जबकि बाद में इरफान जी ने मेरी एक मेल के प्रत्युत्तर में लिखा है कि वे सोचते थे मैं दिल्ली में नहीं रहता हूं। खैर ... अब तो मिलना होता रहेगा।
इस अवसर का कोई चित्र मैं नहीं लगा पा रहा हूं। मजबूरी वही है कि मेरे पास कैमरा नहीं था। संभवत: अगले महीने से ऐसा नहीं होगा। कल शाम से ही मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है इसलिए मैं यह पोस्ट न तो कल लगा पाया और न आज दिन में ही। हल्का ज्वर और बदन दर्दमयी है पर दुखमयी नहीं है। आखिर इरफान जी से मुलाकात हुई उस मुलाकात का सुखद अहसास सदा कायम रहेगा।
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पंडित जी! पहले स्वास्थ्य दुरुस्त कीजिए। मिलना मिलाना बाद में। कही किसी की शामत न आ जाए।
जवाब देंहटाएंइरफान वाकई कमाल के व्यक्ति और कलाकार हैं।
इरफान जी को बधाई!
जवाब देंहटाएंहम तो चर्चा मंच में अक्सर
इनके कार्टून शामिल करते ही हैं!
kya m f husaun art gailri ka nam ab bhi yhi rhna chahiye jb ki us ne desh ki nagrikta hi chhod di hai
जवाब देंहटाएंdr.ved vyathit
अंग्रेज तो जाने कब के भारत छोड़कर चले गए हैं। हम भारतीयों ने तो तब भी उनके नाम पर भवन, सड़कों, अस्पतालों के नाम रखे हुए हैं, इन बातों से व्यथित नहीं होना चाहिए। मिथिलेश दुबे कहां हैं, आओ इस पर एक पोस्ट लगाओ, सांप्रदायिक सद्भाव फैलाओ।
जवाब देंहटाएंdhanyavad vachaspatiji.dar asal mujhe bhi behad khushi hui is mulaqat se.
जवाब देंहटाएंR.G.PAREEK