जनानों की मर्दानगी....
Posted on by मयंक in
महिला दिवस पर मुझे करीब डेढ़ साल पहले लिखी अपनी एक कविता याद आ रही है...उसे आप सब के साथ बांटना चाह रहा हूं....क्योंकि आधी आबादी अब पूरी दुनिया जीतने को तैयार है....आप मानें या न मानें....
माँ अब तुम तैयार रहो
बनने के लिए पिता
यकीन करो
तुम उतनी ही जिम्मेदार हो
बहन अब तुम जान लो
हो सकता है रक्षा करनी पड़े
तुम्हे भाई की अपने
क्या तुम तैयार हो ?
गृहस्वामिनी क्या तुम्हे नहीं लगता
कि घर तुम्हारी क्षमताओं के आगे
छोटा पड़ गया है
क्यूँ ना अब सीमाएं तोड़ भागें
दुलारी बेटियों क्यूँ अब तुम्हे
सड़क के मोड़ पर बैठा
कोई दानव करेगा परेशान
उठाओ हाथों को उसे अहसास कराओ
तुम में भी है जान
छोड़ कर दायरों को
तोड़ बंधनों को
अपेक्षाओं से परे
सीमाओं से आगे
तुम्हारा आकाश खिड़की से दीखता
बादल का टुकडा नहीं
वो क्षितिज का कोना है
कोई दुस्वप्न या दुखडा नहीं
उनकी भाषा में उनको जवाब देना
अब तुम्हारी ज़िम्मेदारी है
उन्होंने बहुत मर्दानगी
अब जनानो की बारी है
-मयंक सक्सेना
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बिल्कुल सही बात उकेर दी है.
जवाब देंहटाएंबहन अब तुम जान लो
जवाब देंहटाएंहो सकता है रक्षा करनी पड़े
तुम्हे भाई की अपने
क्या तुम तैयार हो
I agree chona i think i am already doing that....hihihi...just kiddin ...today girls know their potential and they are ready to win d world with their skills like me..men like u are required more in this world. hope every girl gets a good household full of males like u...nice poem anyways as usual beta.....
मातृ-दिवस पर मातृ-शक्ति को नमन!
जवाब देंहटाएंbahut hi zabardast rachna .........shandaar.
जवाब देंहटाएंbahut sahi rachana ...abhaar
जवाब देंहटाएंsach kaha hai..
जवाब देंहटाएंmain bhi taiyyar hun..
MAHILA DIWAS par aapki bhent acchi lagi...
क्या बात है जी, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसकारात्मक सोच से परिपूर्ण रचना ।
जवाब देंहटाएंअच्छी पेश कश...अच्छी रचना की.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंक्यूँ अब तुम्हे कोई दानव करेगा परेशान
जवाब देंहटाएंउसे अहसास कराओ तुम में भी है जान
अपेक्षाओं से परे ,सीमाओं से आगे
क्यूँ ना अब सीमाएं तोड़ भागें
बदलते समय में अब यह सभी की ज़िम्मेदारी है
बहुत देखा औरों को ,अब ज़नानों की बारी है
वेहद उर्जावान कविता और जोश भरते हुए विचार.
जवाब देंहटाएंhttp://hariprasadsharma.blogspot.com/2009/09/blog-post_2067.html
bahoot sateek
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